ब्रसेल्स में भारत-यूरोपीय संघ की 15वीं बैठक, आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का संकल्प

नई दिल्ली भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्य समूह की 15वीं बैठक मंगलवार को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में आयोजित हुई। इस बैठक में दोनों पक्षों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने के संकल्प को दोहराया और कहा कि यह वैश्विक खतरा है, जिसका मुकाबला सामूहिक और सतत प्रयासों से ही संभव है।
ईयू ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की
इस बैठक की शुरुआत में यूरोपीय संघ ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई थी। यूरोपीय संघ ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद की सख्त निंदा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
वैश्विक मंचों पर सहयोग का महत्व
भारत और यूरोपीय संघ ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन), ग्लोबल काउंटर टेररिज्म फोरम (जीसीटीएफ) और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसे वैश्विक मंचों पर सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा रणनीति से ही प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा
इस बैठक में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को अपनी-अपनी आतंकवाद विरोधी नीतियों में हालिया बदलावों की जानकारी दी और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, इसमें
आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना- ऐसे सभी तंत्रों को खत्म करने पर जोर दिया गया, जिनसे आतंकियों को धन मिलता है।
ऑनलाइन कट्टरपंथ की रोकथाम- सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए युवाओं को भड़काने की गतिविधियों को रोकने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
आतंकवादियों और आतंकी संगठनों की पहचान व सूचीकरण- दोनों पक्ष ऐसे संगठनों और व्यक्तियों पर कार्रवाई के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान जारी रखेंगे।
नई तकनीकों के खतरे- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ड्रोन और अन्य उभरती तकनीकों के दुरुपयोग से जुड़े खतरों पर भी चर्चा की गई।
भारत और ईयू की साझा प्रतिबद्धता
इस बैठक के अंत में यह दोहराया गया कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसके खिलाफ सतत, व्यापक व सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। दोनों पक्षों ने भरोसा जताया कि उनकी साझेदारी आने वाले समय में और मजबूत होगी तथा वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए यह सहयोग अहम भूमिका निभाएगा।
