मनरेगा की जगह नया ग्रामीण रोजगार बिल लोकसभा एजेंडा में, विपक्ष का तीखा विरोध

मनरेगा की जगह नया ग्रामीण रोजगार बिल लोकसभा एजेंडा में, विपक्ष का तीखा विरोध
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नई दिल्ली | विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की जगह लाए गए नए विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण बिल को आज लोकसभा के एजेंडा में शामिल कर लिया है। मंगलवार को इस बिल के इंट्रोडक्शन के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों ने इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी।

विपक्ष का आरोप है कि नए बिल में मनरेगा कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाया गया है, जो बापू का अपमान है। हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री ने लोकसभा में कहा कि महात्मा गांधी देशवासियों के दिलों में बसते हैं और उनका पूरा सम्मान किया जाता है। मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी राम राज्य और सबसे अंतिम व्यक्ति के कल्याण की बात करते थे और यह बिल उन्हीं विचारों के अनुरूप है। सरकार का संकल्प गरीबों के कल्याण का है और नया कानून उसी दिशा में एक कदम है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार नए बिल में 100 दिन की रोजगार गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट का प्रावधान किया गया है। मंत्री ने सदन में आंकड़े पेश करते हुए कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में मनरेगा पर करीब 2.13 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि मोदी सरकार ने 2014 से अब तक ग्रामीण और गरीब कल्याण योजनाओं पर 8.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।

वहीं विपक्षी दल इस बिल को मजदूरों और पंचायतों के अधिकार कमजोर करने वाला बता रहे हैं। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि नए बिल से ग्रामीण मजदूरों का रोजगार मांगने का कानूनी अधिकार कमजोर होगा। उन्होंने दावा किया कि इससे पंचायती राज व्यवस्था और ग्राम सभाओं की भूमिका घटेगी। साथ ही केंद्र सरकार का अनुदान पहले की तुलना में कम होकर कई राज्यों में 60 प्रतिशत तक सीमित रह जाएगा।

तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित कई दलों ने भी इस बिल का विरोध किया है। तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगात रे ने कहा कि रोजगार की सीमा तय कर इसे सप्लाई ड्रिवन बना दिया गया है और राज्यों पर 40 प्रतिशत खर्च का बोझ डालने का प्रस्ताव है, जिससे योजना कमजोर होगी।

वाम दलों ने भी सरकार पर मनरेगा को खत्म करने की साजिश का आरोप लगाया है। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि यह बिल मनरेगा के अधिकारों को कमजोर करेगा और राज्यों पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डालेगा। विपक्षी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे संसद के भीतर और बाहर इस बिल का जोरदार विरोध जारी रखेंगे।

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