भारत की समुद्री सुरक्षा में बड़ा इजाफा: नौसेना को मिले दो नए युद्धपोत

नई दिल्ली |हिंद महासागर में भारत की शक्ति और बढ़ने जा रही है। विशाखापत्तनम स्थित बेस में मंगलवार को अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी- मिशन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि और हिमगिरि नौसेना में शामिल किए गए। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस समारोह की अध्यक्षता की।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह पहला अवसर होगा जब दो अलग-अलग शिपयार्डों में निर्मित दो अग्रिम पंक्ति के सतही लड़ाकू जहाजों को एकसाथ कमीशन किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, इन युद्धपोतों के शामिल होने के बाद नौसेना की युद्ध तत्परता बढ़ेगी और युद्धपोत डिजाइन एवं निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के भारत के संकल्प की पुष्टि होगी। कमीशन होने के बाद, दोनों युद्धपोत पूर्वी बेड़े में शामिल हो जाएंगे। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने की देश की क्षमता मजबूत होगी।
शिवालिक क्लास से बड़े और ज्यादा उन्नत
बता दें कि उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने बनाया गया है, जबकि हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया है। खास बात यह है कि उदयगिरि नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो का 100वां डिजाइन किया गया जहाज है। करीब 6700 टन वजनी ये जहाज शिवालिक क्लास से बड़े और ज्यादा उन्नत हैं।
इनका डिजाइन ऐसा है कि ये रडार को चकमा देने में सक्षम हैं। इनमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन दोनों लगे हैं, आधुनिक मिसाइलें, तोप और पनडुब्बी रोधी हथियार भी हैं। दोनों भारतीय नौसेना के नेक्स्ट-जनरेशन स्टील्थ वॉरशिप हैं, जो प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए गए हैं। इन युद्धपोत के निर्माण में 200 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिससे 4,000 से ज्यादा लोगों को सीधी और 10,000 से ज्यादा को अप्रत्यक्ष नौकरियां मिलीं।
'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' का जलावतरण जहाज डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नौसेना इसके बाद अन्य स्वदेशी पोतों जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार का जलावतरण 2025 में करेगी।
स्टील्थ, हथियार और सेंसर प्रणालियों से हैं लैसः
उदयगिरि और हिमगिरि, प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक ) श्रेणी के फ्रिगेट के अनुवर्ती जहाज हैं। इन दोनों जहाजों में डिजाइन, स्टेल्थ, हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं। उदयगिरि को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने तैयार किया है जबकि कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने हिमगिरि का निर्माण किया है।
इनकी खासियतें
रडार- अवशोषक (रडार एबसॉरबेंट) मैटेरियल और ऐंगल्ड डिजाइन से दुश्मन के रडार पर इन पोत की पहचान करना बेहद मुश्किल।
वजन : ये पोत लगभग 6,670 टन, लंबाई : 149 मीटर (करीब 15 मंजिला इमारत के बराबर)।
गति : करीब 52 किमी/घंटा।
रेंज : एक बार ईंधन भरने के बाद 10 हजार किमी से ज्यादा जा सकता है।
ये पोत हेलिकॉप्टर ऑपरेशन के लिए सी किंग हेलिकॉप्टर ले जा सकते हैं, जो पनडुब्बी और सतही जहाजों को खोजने-मारने में सक्षम हैं।
इन पोत पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होंगे। जो समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों पर 290+ किमी की दूरी से हमला करने में सक्षम हैं।
अंतिम चरण में आने वाली मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराने की क्षमता, सोनार सिस्टम से लैस हैं, गहरे पानी में पनडुब्बी का पता लगाने में सक्षम।
अरब सागर में पाकिस्तान की नौसैनिक गतिविधियों और ग्वादर पोर्ट पर चीनी मौजूदगी की निगरानी, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों व पनडुब्बियों पर हर पल रखेंगे नजर।
हिंद महासागर में मजबूत होगी भारत की पकड़
नौसेना के मुताबिक यह युद्धपोत भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाने का मौका है, इन जहाजों के शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की पकड़ और मजबूत होगी। इन दोनों युद्धपोत के आने से भारत न सिर्फ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की निगरानी कर सकेगा, बल्कि मलक्का जलडमरूमध्य तक चीनी जहाजों की हर हलचल पर नजर रख पाएगा।
यह हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश भी है। चीन हाल के वर्षों में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, खासकर श्रीलंका, मालदीव और अफ्रीकी तटों पर बंदरगाहों के जरिये। वहीं पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट पर चीन की नौसैनिक गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं।
