बिहार में जमीन सर्वेक्षण: वंशावली को लेकर आया नया अपडेट, जमीन मालिकों को अब करना होगा ये भी काम
बिहार सरकार के निर्देशानुसार भूमि सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। जिला बंदोबस्त पदाधिकारी मनोज कुमार ने सभी राजस्व पदाधिकारी व एएसओ को सख्त निर्देश दिया है कि आप सभी क्षेत्रों का भ्रमण करें। लोगों से सम्पर्क कर रैयतों के समस्याओं को समाधान करने के लिए प्रयास करें।
हिसुआ व नारदीगंज में शनिवार को भूमि सर्वेक्षण से सम्बंधित बैठक हुई। अध्यक्षता राजस्व पदाधिकारी सह कानूनगो अशोक कुमार झा ने की। उन्होंने कहा कि रैयतों को अपनी जमीन का स्वघोषणा के साथ वंशावली बनाकर जमा करना है,उस घोषणा पत्र में जमीन का पूर्ण ब्यौरा देना होगा।
रैयतों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। नोटरी या दंडाधिकारी से कोई शपथ पत्र नहीं देना है। सरपंच या कोई भी जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है।
सर्वे में रैयतों को केवल अपनी जमीन का मालिकाना हक से सम्बंधित कागजात का ब्योरा देना है। रैयतों को स्वघोषणा पत्र के साथ स्व वंशावली यानी अपने हाथों से लिखा हुआ वंशावली ही मान्य है।
हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी भूमि मालिकों का हार्दिक स्वागत करते हैं हम आपको बता दें कि, अगर आप भी बिहार के रहने वाले हैं और जमीन सर्वे के लिए डॉक्यूमेंट के को तैयार कर रहे हैं तो यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि आपको किन-किन डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी या फिर वंशावली कैसे बनवाया आर्टिकल केवल आपके लिए है जिसमें हम आपको पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक से Bihar Jamin Survey New Notice के बारे में प्रदान करेंगे
सबसे पहले जाने जमीन सर्वे के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी:-
जमीन के सभी दस्तावेज
लगान रसीद
पूर्वज का मृत्यु प्रमाण पत्र
वंशावली और
आधार कार्ड आदि
बिहार जमीन सर्वे के लिए वंशावली कैसे बनवाएं
हम आपको बता दे की बिहार जमीन सर्वे 2024 के लिए वंशावली बनवाने के लिए आपको कहीं भी जाने या फिर भाग दौड़ करने की जरूरत नहीं है बल्कि आप बिना किसी समस्या के अपने गांव के सरपंच या वार्ड सदस्य से सुधा पूर्वक वंशावली बनवा सकते हैं तथा इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैंl
जमीन सर्वे में पूर्वजों की मृत्यु प्रमाण पत्र को जमा करना क्या जरूरी है ?
अगर किसी जमीन का सर्वे किया जा रहा है तो उसे जमीन के पूर्वज मालिकों का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना जरूरी नहीं है लेकिन वंशावली तैयार करते समय पूर्वजों की मृत्यु के बारे में उल्लेख करना होगा वह गांव के मुखिया या सरपंच द्वारा लिखित होने पर मान्य होगा आदि
स्वघोषित वंशावली का फॉर्म जमा करते समय अगर पूर्वजों के नाम पर जमीन है तो वह सिर्फ उनकी मृत्यु से संबंधित जानकारी देना होगा
जगह-जगह शिविर लगाकर जमीन सर्वे के प्रति आमजनों को जागरूक किया जा रहा है:-
हम आपको बता दे की राजस्व विभाग बिहार सरकार के द्वारा पूरे बिहार राज्य में किया जा रहे हैं जमीन सर्वे से आम जनता को जागरूक करने के लिए हर जगह शिविर का आयोजन किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक जमीन सर्वे के प्रति जागरूक हो सके तथा इसका लाभ प्राप्त कर सकें
उपरोक्त सभी बिंदुओं की मदद से हमने आपको विस्तारपूर्वक से तैयारी रिपोर्ट की जानकारी प्रदान की ताकि आप इसका पूरा-पूरा लाभ प्राप्त कर सके
प्रपत्र दो में देनी है भूमि का खाता, खेसरा और चौहद्दी
इस सर्वेक्षण में दो तरह का प्रपत्र जमा लिया जा रहा है,प्रपत्र दो और प्रपत्र तीन (ए) है। प्रपत्र दो में स्वयं की घोषणा के साथ भूमि का खाता, खेसरा, चौहद्दी को भरकर जमा करना है। वहीं प्रपत्र तीन (ए) में स्वघोषणा का वंशावली बनाकर जमा करना है।
अगर आपकी भूमि बिहार सरकार के नाम से अंकित हो गई है,और आप मालगुजारी दे रहे हैं ,तो उसका साक्ष्य के तौर पर कागजात जमा करना है। भूमि की खरीद की है और मोटेशन नहीं हो पाया है तो, वैसे रैयत भी भूमि से सम्बंधित दस्तावेज की छायाप्रति प्रपत्र के साथ जमा करेंगे। प्रपत्र की अभियुक्ति में अंकित कर देना है।
वास्तविक स्थिति की जानकारी देने वाले रैयतों को मालिकाना हक बरकरार रहेगा। यह सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि भूमि विवाद का निपटारा किया जाय। पुराने सर्वे को अद्यतन करना है। इसके लिए गांव- गांव जाकर सर्वे टीम लोगों से जनसम्पर्क कर लोगों को जागरूक कर रही है।
ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही तरीके से रैयत दे सकते हैं आवेदन
अधिकारी की ओर से बताया गया कि सर्वेक्षण के दौरान भूमि से सम्बंधित दस्तावेज को आनलाइन व आफलाइन जमा करने की अपील रैयतों से की जा रही है। ताकि रैयतों को मालिकाना हक मिल सके। अगर कागजात कम है,या आधे अधूरे हैं, तो भी स्वघोषणा से चुकना नहीं है।
फिलहाल स्वघोषणा पत्र जमा करने की कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं की गई है। ऐसे में सही तरीके प्रपत्र भरकर आनलाइन व आफलाइन जमा कर सकते हैं। मौके पर सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी आकाश राज समेत अन्य कर्मी व ग्रामीण रहे।