सदन की गिरती प्रतिष्ठा और जबरन सदन न चलने देना चिंता का विषय, लोक सभा अध्यक्ष ने क्यों कही यह बात

पटना में दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने किया। कार्यक्रम में संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने में संसद और विधायी निकायों के योगदान’ विषय पर संवाद हुआ। इस दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन की गिरती प्रतिष्ठा और विपक्ष के द्वारा जबरन सदन न चलने देने पर चिंता जाहिर की।
सदन की गरिमा पर चिंता व्यक्त की
इस दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि समय के के साथ-साथ टेक्नोलॉजी में भी परिवर्तन हुआ है। समय के साथ हमारे सामने कुछ चुनौतियां भी आई और चुनौतियों पर समय-समय पर पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में चर्चाएं भी हुईं। ओम बिड़ला ने कहा कि 1952 के बाद 1954 के अंदर सबसे पहले पीठासीन अधिकार जो चिंता व्यक्त की वह चिंता आज भी हमारी है, वह चिंता है सदन की गरिमा और परंपरा की। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि आज मुझे यह कहना पड़ रहा है कि यह चिंता गंभीर होती जा रही है। हम किस तरीके से हमारे सदनों के अंदर सदन की गरिमा बनाए, प्रतिष्ठा बनाएं, अच्छी परंपराएं लागू करें। सदन की गरिमा प्रतिष्ठा बनाते हुए जिस अपेक्षा के साथ जनता जनप्रतिनिधि की चुनकर भेजा है, जनता की उन अपेक्षा-आकांक्षाओं को पूरा करने का एकमात्र सदन होता है, तो विधानसभा-लोकसभा होती है।
विपक्ष के द्वारा बढ़ते विरोध को कम करना भी हमारी जिम्मेदारी
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि इस जिम्मेदारी को निभाते हुए हम किस तरीके से वर्तमान परिप्रेक्ष्य की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उसका समाधान का रास्ता भी हमें ढूंढना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी के रूप में हमारी जिम्मेदारी है, कुछ चुनौतियां हमारे सामने है, पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में कई बार इस पर चिंता व्यक्त की, घटती विधान मंडलों की बैठकें हमारे लिए चिंता का विषय है।
मंडलों की बैठकों की संख्या हो रही है कम
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए हमारे जो विधान मंडलों की बैठकों की संख्या घटती जा रही है, उसको हम किस तरीके से ठीक करें। साथ ही जो पूर्व में निर्णय हुए हैं, स्पीकर सम्मेलन में उस संकल्पों को लागू करने का प्रयास करें। दूसरा नई दिल्ली के अंदर सभी राजनीतिक दलों में पीठासीन अधिकारियों के साथ-साथ राजनीति दल के नेता भी थे, जिन्होंने यह कहा था कि सदनों के अंदर लगातार व्यवधान, बेल में आना, नारेबाजी करना, नियोजित तरीके से सदन स्थगित करना, इन सारे विषयों पर बड़ी गंभीर चर्चा हुई थी। वह चिंता आज भी है, इसलिए हमें कोशिश करना चाहिए कि सभी राजनीतिक दलों से चर्चा कर हम सदन में व्यवधान कम करें। नियोजित गतिरोध को रोकने का प्रयास करें। सदन की गरिमा प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए सभी राजनीति दल सहयोग करें। महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण के समय सदन में गरिमा रहे। इन सारे विषयों पर बड़ी गंभीर चर्चा हुई थी क्योंकि पटना एक ऐतिहासिक धरती है हमें कुछ फैसले लेकर यहां से लेकर जाना होगा।
बननी चाहिए आचार संहिता
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अचार संहिता बनाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि मेरी सभी राजनीतिक दलों से भी यह अपेक्षा है कि वह अपने-अपने दल में एक आचार संहिता बनाएं, सदनों में अपने-अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को सदन की गरिमा प्रतिष्ठा बनाने के लिए राजनीतिक दल आचार संहिता बने । क्योंकि किसी भी सदन की गरिमा उस सदन के माननीय प्रतिनिधि से है। जितना जनप्रतिनिधि की मर्यादा पूर्ण आचरण करेंगे, आदर्श जनप्रतिनिधि की भूमिका निभाएंगे, उतनी सदन की गरिमा भी बढ़ेगी और हम लोकतंत्र को सशक्त मजबूत करते हुए शासन की जवाबदेही और पारदर्शिता भी लाएंगे। ओम बिड़ला ने आग्रह करते हुए कहा कि अपने-अपने सदन की प्रोडक्टिविटी बढ़े, सार्थक चर्चा हो, माननीय सदस्यों की कैपेसिटी बिल्डिंग हो, उनकी दक्षता कौशल बढ़े, इसके लिए समय- समय पर हम चर्चा करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि गंभीर चर्चा मंथन से हमारे प्रयासों को सफलता मिलेगी और हम लोकतंत्र के अंदर हमारे जनप्रतिनिधि की भूमिका को और सार्थक बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि सदन में सार्थक और उपयोगी चर्चा हो ताकि शासन और प्रशासन की उसमें जवाबदेही हो और पारदर्शिता भी हो।