बिहार में लोकतंत्र का उत्सव: हर गली और गांव में दिखा मतदान का जोश

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के मतदान के दिन सुबह से ही राज्य में लोकतंत्र का उत्सव देखने को मिला। सूरज की पहली किरणों के साथ ही मतदाता अपने-अपने मतदान केंद्रों की ओर बढ़ते नजर आए। शहर के व्यस्त चौक हों या छोटे-छोटे गांव, हर जगह कतारों में खड़े लोग लोकतंत्र की गर्मी और उत्साह से झूम रहे थे।
पहली बार वोट डालने वाले युवा अपने भविष्य की उम्मीदों और जोश के साथ कतार में खड़े थे। बुजुर्ग अपने अनुभव और सोच के साथ मतदान केंद्र पहुँचे, तो महिलाएं अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए सज-धजकर आईं। कई प्रवासी मतदाता, जो रोज़ी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में काम करते हैं, अपने परिवार और गांव के लिए जिम्मेदारी निभाते हुए वोट डालने लौटे।
कुछ मतदाता अपने साथ लाठी, ठेला और यहां तक कि भैंस लेकर भी आए। कतार में खड़े लोग चाय की छोटी-छोटी दुकानों से गर्म चाय पीते, बच्चे अपने माता-पिता के साथ खेलते, और बूथ पर खड़े अधिकारी शांतिपूर्वक मतदान करवा रहे थे। यह दृश्य न केवल लोकतंत्र की जीवंतता दिखाता है, बल्कि बिहार की ग्रामीण संस्कृति और जनभावना की गहराई को भी सामने लाता है।
मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे तक चला। हालांकि, लाइन में लगे मतदाताओं को वोट डालने का अवसर समय समाप्त होने के बाद भी दिया गया। मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बल और अधिकारी सतर्क थे, लेकिन वातावरण पूरी तरह उत्साह और उमंग से भरा हुआ था।
लोग अपने मोबाइल और कैमरों से इस ऐतिहासिक पल को कैद करते नजर आए। कतार में खड़े युवा अपने दोस्तों से बातचीत कर रहे थे, महिलाएं अपने बच्चों के हाथ पकड़े वोटिंग बूथ की ओर बढ़ रही थीं, और बुजुर्ग अपने अनुभव साझा करते हुए नई पीढ़ी को मतदान के महत्व की याद दिला रहे थे।
हर फोटो और दृश्य इस बात का सबूत हैं कि बिहार में लोकतंत्र सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक उत्सव है। हर वोट, हर मुस्कान और हर उत्साही कदम ने इस महापर्व को और भी खास बना दिया।
