योजना का नाम बदलने पर कांग्रेस का हमला, जयराम बोले मोदी सरकार री ब्रांडिंग में माहिर

नई दिल्ली संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इस दौरान कैबिनेट द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने के बिल को मंजूरी देने के बाद, कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि मोदी सरकार योजनाओं का नाम बदलने में "मास्टर" है। इसके साथ कांग्रेस ने यह भी और पूछा कि आखिर "महात्मा गांधी नाम में क्या गलत है" कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार योजनाओं और कानूनों का नाम बदलने में "मास्टर" है। पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, उन लोगों ने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत अभियान कर दिया, और ग्रामीण एलपीजी वितरण कार्यक्रम का नाम बदलकर उज्ज्वला कर दिया। वे री-पैकेजिंग और ब्रांडिंग में माहिर हैं।"
उन्होंने कहा कि, "वे पंडित नेहरू से नफरत करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वे महात्मा गांधी से भी नफरत करते हैं। आखिर महात्मा गांधी के नाम में क्या गलत है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलकर पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना क्यों किया जा रहा है?"
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को MGNREGA का नाम बदलने और काम के दिनों की संख्या बढ़ाने के बिल को मंजूरी दे दी है। उनके अनुसार, अब इस योजना का नाम 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' रखा जाएगा, और इसके तहत काम के दिनों की संख्या मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी।
मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव संगठन प्रभारी के सी वेणुगोपाल ने कहा कि पीएम जिन्होंने कभी MGNREGA को "विफलता का स्मारक" कहा था. अब इस क्रांतिकारी योजना का श्रेय लेने के लिए इसका नाम बदल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह हमारी राष्ट्रीय चेतना खासकर गांवों से, जहां उन्होंने कहा था कि भारत की आत्मा बसती है, से महात्मा गांधी को मिटाने का एक और तरीका है।"
उन्होंने कहा कि MGNREGA कार्यकर्ता ज्यादा मजदूरी की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार हर साल इस योजना के लिए आवंटित फंड कम कर रही है। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया, "बकाया बढ़ता जा रहा है, और ऐसा लगता है कि यह योजना को धीरे-धीरे खत्म करने के लिए सोच-समझकर बनाई गई रणनीति है। असल में, इस सरकार का कल्याण करने का कोई इरादा नहीं है। अब जब इसके पास कोई विचार नहीं बचा है तो यह सिर्फ दिखावा कर रही है।"
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "लेकिन मिस्टर मोदी, आप इसका नाम चाहे जो रख लें, लोग जानते हैं कि यह डॉ. मनमोहन सिंह जी और श्रीमती सोनिया गांधी जी ही थे, जो भारत के हर गांव में यह बदलाव लाने वाली योजना लाए थे।"
