घरेलू कलह पर नकेल: कोर्ट ने बहू सास से दूरी बनाए, न हिंसा करेगी न परेशान

जिला न्यायालय ने एक पारिवारिक विवाद में अहम फैसला सुनाते हुए बहू को आदेश दिया है कि वह अपनी सास को किसी भी प्रकार की प्रताड़ना या हिंसा नहीं करेगी। कोर्ट ने साफ किया कि बहू अपनी सास से न तो संपर्क करेगी और न ही किसी माध्यम से उन्हें परेशान करेगी। साथ ही, घर पर बहू द्वारा लगाए गए ताले को खोलने का भी आदेश दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला इंदौर के खजराना क्षेत्र की एक महिला से जुड़ा है। महिला का बेटा महू निवासी एक युवती से प्रेम विवाह करके उसके साथ रहने लगा था। विवाह के बाद बेटे ने ससुराल में रहना शुरू कर दिया। इस पर मां ने वर्ष 2022 में बेटे और बहू से संबंध तोड़ लिए थे।
कुछ समय बाद बेटे और बहू के बीच विवाद गहराया और मामला तलाक तक पहुंच गया। बेटा अपनी पत्नी का ससुराल छोड़कर अलग रहने लगा। इसी बीच बहू ने सास को परेशान करना शुरू कर दिया।
बहू ने सास को घर से निकाला और ताला जड़ा
महिला ने बताया कि बहू कई बार उसके घर पहुंची और विवाद करने लगी। हालात ऐसे हो गए कि बहू ने जबरन उसे घर से निकालकर दरवाजे पर ताला जड़ दिया। महिला ने इसकी शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
महिला ने हिम्मत नहीं हारी और घर के पिछले दरवाजे से अंदर प्रवेश किया। इसके बाद भी बहू की ओर से परेशानियां जारी रहीं। थाने में बार-बार गुहार लगाने के बावजूद जब सुनवाई नहीं हुई तो आखिरकार महिला ने जिला न्यायालय की शरण ली।
कोर्ट का सख्त रुख
महिला की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायालय ने बहू के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि—
* बहू तीन दिन के भीतर मुचलका भरे कि वह सास को किसी प्रकार से प्रताड़ित या हिंसा नहीं करेगी।
* बहू सास से किसी भी तरह का संपर्क नहीं करेगी और न ही उसकी ओर से कोई व्यक्ति उन्हें परेशान करेगा।
* बहू को तुरंत प्रभाव से घर पर लगाए गए ताले को खोलना होगा।
पारिवारिक विवाद में कोर्ट का संकेत
इस फैसले ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि पारिवारिक विवादों में घरेलू हिंसा या प्रताड़ना किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही, यदि पुलिस स्तर पर कार्रवाई नहीं होती है तो पीड़ित पक्ष को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का पूरा अधिकार है।
