बड़ी कृषि भूमि वाले किसानों को भरना होगा आयकर रिटर्नnआईसीएआई की सिफारिश,

नई दिल्ली. भारतीय चार्टर्ड लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने केंद्रीय बजट 2026-27 के लिए सरकार को भेजे अपने सुझावों में कर प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की है। इनमें सबसे प्रमुख सुझाव एक सीमा से अधिक कृषि भूमि के मालिकों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य करने का है।संस्थान का मानना है कि बड़ी कृषि भूमि रखने वाले व्यक्तियों की आय का बेहतर लेखा-जोखा होना चाहिए, ताकि कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बन सके।
विवाहित जोड़ों को साझा आयकर रिटर्न का विकल्प
आईसीएआई ने सरकार से विवाहित जोड़ों को संयुक्त रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करने का विकल्प देने की भी सिफारिश की है। इससे पारिवारिक आय का समुचित आकलन हो सकेगा और करदाताओं के लिए प्रक्रिया आसान बनेगी।
छोटी गलतियों पर जेल की सजा खत्म करने की सिफारिश
संस्थान ने कर कानूनों में की जाने वाली छोटी तकनीकी या लेखा संबंधी गलतियों पर जेल जैसी सख्त सजा को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है। आईसीएआई का कहना है कि ऐसे मामलों में दंडात्मक कार्रवाई के बजाय आर्थिक जुर्माने या चेतावनी जैसी व्यवस्था अधिक व्यावहारिक होगी।
व्यापार और पर्यावरण के लिए प्रोत्साहन की मांग
आईसीएआई ने व्यापार सुगमता और पर्यावरण संरक्षण दोनों को बढ़ावा देने वाली कर नीतियों की भी वकालत की है। संस्थान के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा, हरित परियोजनाओं और पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को कर में विशेष छूट और प्रोत्साहन देने से भारत की अर्थव्यवस्था टिकाऊ विकास की दिशा में आगे बढ़ेगी।
ऑडिट को लेकर भी सुझाव
सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि जहां कहीं भी लागत आधारित कर कटौती दी जाती है, वहां खातों का ऑडिट अनिवार्य किया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और फर्जी दावों पर अंकुश लगाया जा सके।
आईसीएआई का यह सुझाव पत्र वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है, जिसे आगामी बजट 2026-27 की तैयारियों में शामिल किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये सिफारिशें लागू होती हैं तो कर प्रणाली अधिक निष्पक्ष, पारदर्शी और आधुनिक बनेगी।
