तिब्बत के पूर्व प्रधानमंत्री का आरोप: नेपाल में दखल दे रहा चीन, भारत को भी दी चेतावनी

तिब्बत के पूर्व प्रधानमंत्री का आरोप: नेपाल में दखल दे रहा चीन, भारत को भी दी चेतावनी
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नई दिल्ली तिब्बत के पूर्व निर्वासित प्रधानमंत्री लोसांग सांग्ये ने चीन पर दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ते हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। उन्होंने खासतौर पर नेपाल में चीनी दूतावास और उसके अधिकारी स्थानीय राजनीतिक और प्रशासनिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप करने का दावा किया है। सांग्ये ने कहा, कई लोग कहते हैं कि काठमांडो में चीनी दूतावास भारतीय या अमेरिकी दूतावास से भी ज्यादा प्रभावशाली है।

सांग्ये ने चीन की विस्तारवादी नीतियों पर गंभीर चिंता जताई और भारत को सतर्क रहने की सलाह दी है। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की तरह चीन के साथ अपने व्यापारिक और राजनयिक संबंध बनाए रखने के लिए तिब्बत मुद्दे से बच रहा है? इस पर सांग्ये ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत भी यही रवैया अपना रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के भारत के प्रयासों को रोकने के लिए व्यवस्थित रूप से काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन हर उस जगह भारत को शह और मात देने के लिए मौजूद रहता है। जहां भारत अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। सिर्फ तिब्बत या सीमा की बात नहीं है। दक्षिण-पूर्व एशिया हो या मध्य एशिया जहां-जहां भारत संबंध मजबूत करना चाहता है, चीन वहां अवरोध खड़ा कर देता है।

सांग्ये ने आगाह किया कि तिब्बत जैसा हाल अन्य देशों का भी हो सकता है। उन्होंने कहा, जो तिब्बत के साथ हुआ, वही आपके साथ भी हो सकता है। अगर आप तिब्बत को समझेंगे नहीं, उसका अध्ययन नहीं करेंगे, तो वही परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उनके अनुसार नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका तक में चीन की राजनीतिक पकड़ मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन का असली मकसद एशिया में भारत को पीछे धकेलना है।

चीन भारत को नंबर दो पर धकेलना चाहता है- सांग्ये

सांग्ये ने कहा, दुनिया में नंबर एक बनने के लिए पहले एशिया में नंबर एक होना पड़ेगा, इसलिए चीन भारत को नंबर दो पर धकेलना चाहता है। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिब्बत यात्राओं को भी भारत के लिए संदेश बताया। उनके अनुसार, जिनपिंग ने तिब्बत में सैनिकों को दिए भाषणों में भारत की ओर आक्रामकता की तैयारी का संकेत दिया। कहा, पहली यात्रा में उन्होंने सैनिकों से कहा था कि युद्ध या घुसपैठ के लिए तैयार रहो। दूसरी यात्रा का भाषण सार्वजनिक नहीं किया गया, क्योंकि उसी समय प्रधानमंत्री मोदी बीजिंग में थे, लेकिन आशंका है कि वही संदेश दोहराया गया होगा।

सांग्ये ने यह भी याद दिलाया कि जब-जब भारत और चीन के बीच संबंधों में ‘थोड़ी नरमी’ आई, तब-तब तिब्बती समुदाय पर दबाव बढ़ा। उन्होंने 2018 का उदाहरण दिया जब तिब्बती प्रशासन ने 'थैंक यू इंडिया' कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन चीन के दबाव में भारत सरकार ने नेताओं को उसमें शामिल न होने की सलाह दी। हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि भारत तिब्बती समुदाय का सबसे बड़ा सहारा रहा है। चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में रही हो, भारत ने हमेशा तिब्बतियों का समर्थन किया है। तिब्बती पहचान, शिक्षा और धार्मिक संस्थानों का संरक्षण भारत की वजह संभव हुआ है।

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