‘दोबारा हमला हुआ तो देंगे और कड़ा जवाब’, वेस्टर्न कमांड के जीओसी ने किया साफ़ बयान

चंढीगढ़ वेस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने शनिवार को साफ कहा कि अगर पाकिस्तान या उसके समर्थन से चलने वाले आतंकी संगठन दोबारा कोई हमला करते हैं तो भारत की प्रतिक्रिया पहले से कहीं अधिक सख्त होगी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है। यह बयान 1965 भारत-पाक युद्ध की विजय के हीरक जयंती समारोह के दौरान दिया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि पाकिस्तान की हर संभावित साजिश के खिलाफ तैयारी का हिस्सा भी था। सात मई को भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के 9 ठिकानों पर तड़के मिसाइल हमले किए। इसमें बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा शामिल था।
पहलगाम हमले का जवाब
यह कार्रवाई 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने तीन दिन तक सीमा क्षेत्रों में गोलीबारी और हमले किए, लेकिन भारतीय सेना ने उसके एयरबेस तक को निशाना बनाकर उसे करारा जवाब दिया। 10 मई को युद्धविराम के बाद स्थिति शांत हुई।
भविष्य में भी तैयार सेना
कटियार ने कहा कि हमें पाकिस्तान पर भरोसा नहीं है। संभव है कि वह फिर से आतंकी हमला कराए। ऐसे में हमारी प्रतिक्रिया और ज्यादा सख्त होगी। उन्होंने कहा कि हमारा ऑपरेशन सिंदूर जारी है और जरूरत पड़ने पर दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब मिलेगा।
आतंकियों की मंशा और चुनौतियां
कटियार ने कहा कि पहलगाम हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर की स्थिति बिगाड़ने के लिए नहीं था, बल्कि भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का भी मकसद था। यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार भारत की धर्मनिरपेक्षता को कमजोर करने की कोशिश करता है, लेकिन भारतीय सेना और जनता मिलकर उसे नाकाम बनाएंगे।
1965 युद्ध से सीखे सबक
कटियार ने कहा कि 1965 के युद्ध से हमने सीखा कि तकनीक महत्वपूर्ण है, लेकिन मशीन से ज्यादा मायने उस सैनिक का होता है जो उसे चलाता है। पाकिस्तान के पास बेहतर टैंक और विमान थे, लेकिन भारतीय सैनिकों के हौसले ने जीत दिलाई। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन की भूमिका और बड़ी होगी और सेना इसके लिए घरेलू स्तर पर भी तकनीक विकसित कर रही है।
