ऑपरेशन सिंदूर में सेना का पराक्रम, स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को करारा जवाब

ऑपरेशन सिंदूर में सेना का पराक्रम, स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को करारा जवाब
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नई दिल्ली |भारतीय सेना के इतिहास में 2025 सुरक्षा, स्वावलंबन और शौर्य का साल रहा। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से लेकर आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी हथियारों की गूंज तक, सेना ने इस साल न सिर्फ अपनी रक्षात्मक क्षमता को मजबूत किया, बल्कि भविष्य के युद्धों के लिए खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया है।

रक्षा मंत्रालय व सैन्य मुख्यालय से जारी वार्षिक समीक्षा में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और नई युद्धक संरचनाओं के गठन को सेना की बढ़ती फायरपावर का आधार बताया गया है। सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, सेना अब भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में उभरी है। ऑपरेशन सिंदूर के जरिये सेना ने आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार किया। मई 2025 में पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर साल की सबसे बड़ी सैन्य उपलब्धि रही। सेना और वायुसेना ने मिलकर सीमा पार 9 आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया। 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को भारतीय एयर डिफेंस ने पूरी तरह विफल कर दिया। भारत की बढ़ती आक्रामकता ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम की गुहार लगाने के लिए मजबूर कर दिया।

सेना की मारक क्षमता बढ़ी

सेना ने लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों के परीक्षण और तैनाती में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। दिसंबर में दक्षिणी कमान और अंडमान निकोबार कमान ने ब्रह्मोस का सफल युद्धाभ्यास किया। अब इसके विस्तारित दूरी वाले संस्करण पर काम जारी है। इसी तरह गाइडेड पिनाका रॉकेट सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया, जिसकी मारक क्षमता 120 किमी तक पहुंच गई है। जुलाई और दिसंबर में कुल 6 एएच-64ई अपाचे हमले वाले हेलिकॉप्टर सेना में शामिल किए गए, जो दुश्मन के टैंकों के लिए काल साबित होंगे।

नई युद्धक संरचनाएं भैरव व अग्नि और बढ़ाएंगे ताकत

आधुनिक युद्ध की जरूरतों को देखते हुए सेना ने अपनी सांगठनिक संरचना में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। भैरव और अग्नि ये ताकत और बढ़ेगी।भैरव बटालियन के अंतर्गत 25 नई लाइट कमांडो बटालियन तैयार की जा रही हैं। वहीं हर इन्फैंट्री यूनिट में ड्रोन आधारित टोही और सटीक हमले के लिए अग्नि प्लाटून तैनात होंगी। ये रेजिमेंट और बैटरियां मानवरहित प्रणालियों और ड्रोन से लैस होंगी।

आत्मनिर्भरता और प्रौद्योगिकी पर रहा जोर

सेना ने पिछले दो वर्षों को तकनीकी अवशोषण वर्ष के रूप में मनाया है। सेना के इस्तेमाल किए जाने वाले 91% गोला-बारूद का निर्माण अब भारत में हो रहा है। करीब 3,000 रिमोट संचालित विमान और 150 टीथर्ड ड्रोन सेना के बेड़े का हिस्सा बने हैं। एज डेटा सेंटर और सैनिक यात्री मित्र जैसे एप के जरिये सेना का डिजिटल कायाकल्प हुआ है। इसके अलावा जैसलमेर में हुए आर्मी कमांडर्स सम्मेलन में ग्रे-जोन वारफेयर (छद्म युद्ध, साइबर हमले और दुष्प्रचार) से निपटने पर विशेष रणनीति बनाई गई। साथ ही, अमेरिका, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास के जरिये भारतीय सेना ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है।

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