पीटर नवारो के बयान पर भारत का पलटवार, विदेश मंत्रालय ने कहा– दावे गलत और भ्रामक

नई दिल्ली |भारत ने शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के हालिया बयानों को सख्ती से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने साफ कहा कि नवारो के बयान न केवल गलत हैं, बल्कि भ्रामक भी हैं। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते गहरे हैं और इन्हें भ्रामक बयानों से प्रभावित नहीं किया जा सकता। साथ ही ब्लूमबर्ग की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को गुप्त पत्र भेजने वाली रिपोर्ट को गलत बताया। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया में हो रहे प्रदर्शन पर भी विदेश मंत्रालय ने अपनी बात कही।
जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं। यह साझेदारी साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और लोगों के बीच मजबूत रिश्तों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का रिश्ता कई बदलावों और चुनौतियों से गुजरा है, लेकिन हमेशा मजबूत रहा है। भारत चाहता है कि यह साझेदारी आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ती रहे। उन्होंने एच-1बी वीजा के मामले में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गतिशीलता साझेदारी इस रिश्ते का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
क्वाड और यूक्रेन पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक मुद्दों पर लगातार बातचीत कर रहा है। उन्होंने क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) को साझा हितों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया और कहा कि इसका अगला नेताओं का शिखर सम्मेलन सदस्य देशों के बीच राजनयिक परामर्श के बाद तय होगा। यूक्रेन संघर्ष पर बोलते हुए जायसवाल ने हालिया शांति प्रयासों का स्वागत किया और कहा कि भारत चाहता है कि सभी पक्ष रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ें। उन्होंने दोहराया कि भारत का रुख स्पष्ट है। संघर्ष का जल्द अंत हो और यूक्रेन में स्थायी शांति स्थापित हो।
क्या बोले थे पीटर नवारो?
नवारो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी नजदीकियों के लिए जाने जाने जाते हैं। नवारो ने हाल ही में तेल खरीदने के लिए भारत की आलोचना की और कहा था कि यह कदम यूक्रेन संघर्ष को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि भारत यूरोप, अफ्रीका और एशिया के बाजारों में रूसी तेल बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है। अपनी एक टिप्पणी में, उन्होंने यह भी दावा किया कि रूसी तेल खरीद के कारण भारत में सिर्फ ब्राह्मण ही मुनाफाखोरी कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में विरोध प्रदर्शन का जिक्र
प्रवक्ता ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुए विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 31 अगस्त को कई शहरों में एंटी-इमिग्रेंट प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान भारत के हाई कमीशन और वाणिज्य दूतावास ऑस्ट्रेलियाई सरकार और भारतीय समुदाय के संपर्क में रहे।
भारत ने वहां के प्रवासी भारतीयों की चिंताओं को ऑस्ट्रेलियाई सरकार तक पहुंचाया। जायसवाल ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार और विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं ने देश की बहुसांस्कृतिक पहचान का समर्थन किया है। उन्होंने भारतीय मूल के लोगों के योगदान को भी स्वीकार किया है। ऑस्ट्रेलियाई नेताओं ने माना है कि भारतीय समुदाय ने देश की प्रगति और विकास में अहम भूमिका निभाई है।
