भारत बनाएगा अपना एलईओ सैटेलाइट नेटवर्क, हर गांव-शहर तक पहुंचेगा हाई-स्पीड इंटरनेट

भारत बनाएगा अपना एलईओ सैटेलाइट नेटवर्क, हर गांव-शहर तक पहुंचेगा हाई-स्पीड इंटरनेट
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नई दिल्ली भारत अब अपनी जमीन से आसमान तक डिजिटल ताकत को और मजबूत करने की तैयारी कर रहा है। सरकार और इसरो मिलकर एक नया कदम उठाने वाले हैं- लो-अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) सैटेलाइट्स का अपना नेटवर्क, ताकि देश में तेज और भरोसेमंद ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराई जा सके। यह योजना ऐसे समय में सामने आई है जब इस क्षेत्र में स्पेसएक्स और वनवेब जैसी विदेशी कंपनियां पहले से ही सक्रिय हैं।

क्यों जरूरी है भारत का अपना एलईओ नेटवर्क?

इसरो के सैटेलाइट एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने बताया कि सरकार ने हाल ही में अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों से चर्चा की। उसमें सामने आया कि भारत को अपनी संप्रभु एलईओ सैटेलाइट व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि नागरिक सेवाओं से लेकर रणनीतिक जरूरतें पूरी की जा सकें। उन्होंने कहा, 'अब समय आ गया है कि भारत अपना खुद का एलईओ नक्षत्र बनाए, चाहे वह नागरिक उपयोग के लिए हो या रणनीतिक उपयोग के लिए।'

140 सैटेलाइट्स का खाका तैयार

निलेश देसाई ने जानकारी दी कि इसरो ने पहले चरण में 140 सैटेलाइट्स की एक योजना तैयार कर ली है। ये सैटेलाइट्स तेजी से लगाकर सबसे पहले शहरी इलाकों में ब्रॉडबैंड की बढ़ती मांग को पूरा करेंगे। इसके साथ-साथ ग्रामीण और दुर्गम इलाकों तक भी इंटरनेट पहुंचाने की दिशा में काम होगा।

अगले 15 साल की बड़ी योजना

निलेश देसाई ने यह भी बताया कि इसरो ने आने वाले 15 साल के लिए एक लंबी रोडमैप तैयार किया है। इसके तहत- 103 ऑपरेशनल सैटेलाइट्स लॉन्च होंगे। इनमें से 80 जमीन से जुड़े कामों (जैसे खेती, मैपिंग, शहरों की योजना) के लिए होंगे। 23 सैटेलाइट्स महासागर और मौसम की निगरानी करेंगे। इसके अलावा 16 टेक्नोलॉजी डेमो सैटेलाइट्स भी लॉन्च होंगे। इनमें से नौ भूमि अनुप्रयोगों के लिए और सात समुद्र व वातावरण संबंधी कार्यों के लिए होंगे।

भारत के लिए इसका क्या मतलब?

भारत का यह कदम सिर्फ इंटरनेट सेवा तक सीमित नहीं है। इसके तीन बड़े फायदे होंगे, जिसमें तेज इंटरनेट हर जगह यानी शहरों से लेकर गांवों और सीमावर्ती इलाकों तक डिजिटल कनेक्टिविटी मिलेगी। दूसरा रणनीतिक सुरक्षा- भारत की संचार प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी और सुरक्षित होगी। तीसरा टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता- भारत दुनिया की उन चुनिंदा ताकतों में शामिल होगा, जिनके पास अपना एलईओ नेटवर्क है।

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