भारतीय नौसेना में शामिल होगा आईएनएस निस्तार, गहरे समुद्र में दुश्मन को देगा कड़ी टक्कर

भारतीय नौसेना में शामिल होगा आईएनएस निस्तार, गहरे समुद्र में दुश्मन को देगा कड़ी टक्कर
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नई दिल्ली |भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ने जा रही है। विशाखापत्तनम में 18 जुलाई को नौसेना में पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट पोत आईएनएस निस्तार शामिल होने जा रहा है। आईएनएस निस्तार की खासियत है कि यह गहरे समुद्र में दुश्मन को कड़ी मात दे सकता है।

नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि निस्तार संस्कृत शब्द है। इसका अर्थ है मुक्ति, बचाव या मोक्ष। आईएनएस निस्तार को विशाखापत्तनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आईएनएस निस्तार रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रवक्ता ने कहा कि 120 एमएसएमई के योगदान और 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना यह जहाज वैश्विक मानकों को पूरा करता है। 120 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा यह जहाज 10,500 टन भारज उठा सकता है। जहाज में गोताखोरी के अत्याधुनिक उपकरण लगे हुए हैं और यह 300 मीटर गहराई तक गहरे समुद्र में गोताखोरी करने में सक्षम है।

यह पोत है और गहरे समुद्र में गोताखोरी और संकटग्रस्त पनडुब्बियों के लिए बचाव अभियान चला सकता है। यह पोत गोताखोरों की निगरानी और 1000 मीटर गहराई तक बचाव कार्यों के लिए दूर से नियंत्रित वाहन (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स) से लैस है। शुक्रवार को होने वाले कमीशनिंग समारोह में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ भी उपस्थित रहेंगे तथा नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी तथा अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति भी इसमें शामिल होंगे।

इससे पहले यह एक पनडुब्बी बचाव पोत था। यह 1969 में तत्कालीन सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ से प्राप्त किया गया था और 1971 में इसे पानी में उतारा गया था। समुद्र में 60 दिनों से अधिक समय तक टिके रहने की क्षमता, हेलीकॉप्टर के माध्यम से परिचालन करने की क्षमता और 15 टन का समुद्री क्रेन इस जहाज को एक बहुत ही बहुमुखी प्लेटफार्म बनाते हैं।

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