माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा अब और आसान, रोपवे परियोजना का शुभारंभ, श्रद्धालुओं को मिलेगा नया अनुभव
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए और बुजुर्गो तथा विकलांग यात्रियों की यात्रा को सरल बनाने के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित रोपवे परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया है। एक बार परियोजना पूरी होने के बाद, यह रोपवे यात्रा के अनुभव को बदलने में मदद करेगा जिससे यह सुरक्षित, तेज और लाखों श्रद्धालुओं के लिए अधिक समावेशी बन जाएगा।
बोर्ड ने आखिरकार रोपवे परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया है। इसमें स्थानीय लोगों की चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा ताकि बुजुर्गो और विशेष आवश्यकता वाले शरीर वाले लोग भी इस यात्रा को आसानी से कर सकें श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुल गर्ग ने कटरा में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना खासतौर पर उन श्रद्धालुओं के लिए एक गेम चेंजर साबित होगी जो गुफा तक पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते हैं। यह परियोजना उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी जो हर साल माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
गर्ग ने बताया कि जैसा कि आप जानते हैं, माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल बढ़ रही है। पिछले साल, यात्रा ने 95 लाख का नया रिकॉर्ड स्थापित किया, जो 2023 में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इस परियोजना पर कई वर्षो से चर्चा हो रही थी और अब बोर्ड ने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।
यह रोपवे विशेष रूप से बुजुर्ग श्रद्धालुओं और उन लोगों के लिए लाभकारी होगा, जो शारीरिक सीमाओं या हेलीकॉप्टर सेवाओं की सीमित क्षमता के कारण कठिन यात्रा पूरी नहीं कर सकते," गर्ग ने कहा। बोर्ड ने इस परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान स्थानीय हितधारकों की चिंताओं को भी ध्यान में रखने की बात की।
हम सभी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाएगा ताकि यात्रा को और अधिक सुगम और समावेशी बनाया जा सके गर्ग ने आश्वासन दिया। निर्णय लेने के बाद बोर्ड अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इस परियोजना के कार्य शुरू कर देगा ताकि इस पवित्र यात्रा को सभी श्रद्धालुओं के लिए सुलभ बनाया जा सके।
अधिकारियों के मुताबिक रोपवे तारकोट मार्ग को भवन यानी मुख्य मंदिर क्षेत्र से जोड़ेगा। पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई जाएगी और श्रद्धालुओं को त्रिकुटा पहाड़ियों का शानदार दृश्य मिलेगा जो यात्रा के आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव को और बेहतर बनाएगा। इस रोपवे से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं को यात्रा करने में मदद मिलेगी जिससे पारंपरिक ट्रैकिंग मार्ग पर होने वाली भीड़-भाड़ में कमी आएगी। अधिकारियों का कहना है कि यात्रा का समय घंटों के बजाय कुछ मिनटों में सिमट जाएगा।