जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में आई 70 फीसदी की गिरावट', गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को दी जानकारी
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को लेकर गृह मंत्रालय ने संसदीय समिति को अहम जानकारी दी है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने संसदीय समिति को बताया कि 2019 के बाद से मोदी सरकार के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 70 फीसदी तक की गिरावट आई है। हालांकि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से जम्मू-कश्मीर को बड़ा खतरा है।
गृह मंत्रालय की टीम ने समिति को बताया कि मोदी सरकार नागरिक सुरक्षा के मुद्दे को लेकर बेहद सतर्क रहती है। सुरक्षा एजेंसिया भी इस पर जोर दे रही हैं। 2019 में जम्मू-कश्मीर में हुई आतंकी घटनाओं में 50 लोग मारे गए थे। मगर इस साल अब तक मरने वालों की संख्या 14 है। 2023 में आतंकी घटनाओं में पांच लोग मारे गए। जो 2024 की तुलना में लगभग तीन गुना कम है। गृह मंत्रालय ने बताया कि 2019 में लोगों पर 73 हमले हुए और अब यह आंकड़ा घटकर 10 रह गया है।
अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय का सीमाओं की सुरक्षा के साथ भारत को सुरक्षित, सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध बनाने का लक्ष्य है। इसे मजबूत आंतरिक सुरक्षा, मजबूत साइबरस्पेस, पारदर्शी आपराधिक न्याय प्रणाली और समृद्ध सीमाओं के जरिये प्राप्त किया जा सकता है। मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के अलावा आतंकी समर्थन और फंडिंग के नेटवर्क को खत्म करना चाहती है।
2019 में 286 और अब तक 40 घटनाएं हुईं
गृह मंत्रालय ने बताया कि 2019 में जम्मू-कश्मीर में 286 घटनाएं हुई और इस साल नवंबर तक यह आंकड़ा घटकर 40 रह गया। 2019 में सुरक्षा बलों पर 96 हमले हुए। 2020 में यह संख्या बढ़कर 111 हो गई। इसके बाद इन घटनाओं में गिरावट आई और 2021 में 95, 2022 में 65, 2023 में 15 और 2024 में अब तक पांच बार सुरक्षा बलों पर हमले हुए हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि 2019 में अलग-अलग हमलों में 77 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। 2020 में 58, 2021 में 29, 2022 में 26, 2023 में 11 और 2024 में अब तक सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
घुसपैठ की कोशिशें भी नाकाम हुईं
गृह मंत्रालय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें भी नाकाम हुई हैं। 2019 में 141 बार घुसपैठ के प्रयास हुए। मगर 2024 में यह सिर्फ तीन बार हुआ। इसके अलावा 2019 में 142 आतंकी मारे गए तो अब यह आंकड़ा 44 रह गया है। नक्सली हिंसा पर गृह मंत्रालय ने कहा कि 2014 में 310 नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए। 2022 में हताहतों की संख्या घटकर 61 हो गई। पूर्वोत्तर में 2014 में 232 नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए, जबकि 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ आठ है।
नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने पर चल रहा काम
गृह मंत्रालय ने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी और व्यापार को रोकने के लिए मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो की ताकत बढ़ाई जा रही है। बंदरगाहों पर सामान की जांच की जा रही है। साइबर अपराध रोकने के लिए क्षेत्रीय साइबर फॉरेंसिक लैब, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र में राज्य साइबर सुरक्षा विंग, राज्यों में साइबर कमांडो विंग और साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण के साथ तमाम काम किए जा रहे हैं।