कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बोले– अफसर दिल से लें फैसले, निभाएं संविधान की जिम्मेदारी

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बोले– अफसर दिल से लें फैसले, निभाएं संविधान की जिम्मेदारी
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कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को संविधान की जिम्मेदारी निभाने के लिए दिल से फैसले लेने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब अफसरों को जीवन में कोई दुविधा या मुश्किल फैसला लेना हो, तो उन्हें अपने दिल की सुननी चाहिए। मेघवाल ने कहा कि अधिकारियों को केवल नियम-कानून ही नहीं, बल्कि संविधान की भावना और लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए।

बता दें कि मेघवाल ने यह बातें दिल्ली में आयोजित एक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कह रहे थे। यह कार्यक्रम विधि विभाग के संयुक्त सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया है, खासतौर पर उन अफसरों के लिए जो हाल ही में शामिल हुए हैं या जल्द ही बड़े पदों पर कार्यभार संभालने वाले हैं।

इतिहास से सीख लें अधिकारी- मेघवाल

मेघवाल ने 1975 की इमरजेंसी का उदाहरण देते हुए कहा कि इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब अफसरों को कठिन फैसले लेने पड़े। ऐसे समय में सिर्फ नियमों पर नहीं, दिल और अंतरात्मा की आवाज पर भी ध्यान देना जरूरी होता है।

कानून सचिव की सलाह – अफसर अपनाएं नई सोच

इसी दौरान कार्यक्रम में कानून सचिव अंजू राठी राणा ने कहा कि यह प्रशिक्षण सिर्फ एक औपचारिक शुरुआत नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अफसरों को अब पारंपरिक ‘फाइल भेजो और आगे बढ़ो’ वाली सोच से बाहर निकलकर, समाधान देने वाली सोच अपनानी होगी।

राणा ने बताया कि ब्रिटिश काल के तीन आपराधिक कानूनों को हटाकर जो नए कानून बनाए गए हैं, उनमें अफसरों की भूमिका बेहद अहम है। उन्हें इन कानूनों को सही तरीके से समझना, लागू करना और आम जनता के लिए प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि एक संयुक्त सचिव का डेस्क सिर्फ फाइल पास करने की जगह नहीं, बल्कि नीतियों को आकार देने का केंद्र होता है। इस कार्यक्रम के जरिए सरकार चाहती है कि कानून से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी न सिर्फ अपने काम में कुशल हों, बल्कि संवेदनशीलता और जनहित को भी प्राथमिकता दें।

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