भोले नाथ के जयकारे के साथ निकली कावड यात्रा

धामनिया। सावन का महीना भगवान शिव और उनके उपासकों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को खुश करने के लिए श्रद्धालु कांवड़ यात्रा भी निकाल रहे हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं।
कावड़ यात्रा के लिए समिति के शिव भक्तों ने त्रिवेणी संगम से जल लाया और कावड सजाई। रविवार को प्रातः महाकाल चौक शिवालय में शिवलिंग का अभिषेक किया गया। कावड़ की पूजा महादेव की पूजा अर्चना आरती के बाद यात्रा निकाली गई। जगह जगह शिव भक्तों का स्वागत भी किया गया। कावड़िया नंगे पांव कांधे मे कांवड़ रखकर ओंकारेश्वर महादेव स्थित धामनिया पहुंचे। ध्वज व गाजे बाजे के साथ बोलबम के जयकारों के साथ कावड़िए एक कतार से चल रहे थे। स्वागत में गांव-गांव में फूलों की वर्षा की गई। धामनिया स्थित ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में सभी ने अभिषेक किया।
इन मार्गों से निकली कावड़ यात्रा
कावड़ यात्रा में शामिल होने के लिए सुबह से ही।कावड़ यात्रा को लेकर इनका उत्साह देखते ही बन रहा था। हर-हर बम-बम के जयकारों के साथ मानपुरा मुकंदपुरिया होते हुए धामनिया पहुंची। यात्रा में डीजे की धुन के साथ कावड़िया जमकर थिरके, भगवान शिव का अभिषेक के बाद कावड़ियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई।
शिव शंभू भोले सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि श्रावण मास में हिंदू धर्म की पवित्र परंपरा हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कावड़िए शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक करते हैं। बैतूल में भी उन्होंने समिति के माध्यम से इस साल से कावड़ यात्रा की परंपरा की शुरुआत की है।
