चंद्र तिलक-रजत मुंडमाल और रुद्राक्ष से सजे राजाधिराज, करें बाबा महाकाल के मनमोहक रूप का दर्शन

चंद्र तिलक-रजत मुंडमाल और रुद्राक्ष से सजे राजाधिराज, करें बाबा महाकाल के मनमोहक रूप का दर्शन
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धार्मिक नगरी उज्जैन, जो बाबा महाकाल की नगरी के रूप में विश्वविख्यात है, प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। यहां के श्री महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती देश-विदेश में प्रसिद्ध है। गुरुवार को बाबा महाकाल का भांग, रजत चंद्र तिलक और मुंडमाला के साथ मनमोहक श्रृंगार किया गया, जिसने भक्तों को मोह लिया।

सुबह 4 बजे हुई भस्म आरती

पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि पौष माह की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि के दिन सुबह 4 बजे बाबा महाकाल को जागृत किया गया। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेने के बाद मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद बाबा का पंचामृत स्नान कराया गया, जिसमें दूध, दही, शहद, शक्कर और घी का उपयोग हुआ। स्नान के बाद बाबा का श्रृंगार बिल्वपत्र, रुद्राक्ष और रजत चंद्र से किया गया।

भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु

श्रृंगार के बाद बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा भस्म अर्पित की गई। भस्मारती के समय पूरा मंदिर परिसर "जय श्री महाकाल" के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने बाबा के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर अपनी भक्ति को और गहरा किया। कपूर आरती के साथ आरती संपन्न हुई।

बाबा महाकाल का विशेष महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर स्थित है। यहां की भस्म आरती भगवान शिव की महिमा का प्रतीक है। यह विशेष आरती, भगवान शिव के निर्गुण और सगुण स्वरूपों का दर्शन कराती है। गुरुवार को इस आरती में शामिल होकर भक्तों ने अद्वितीय अनुभव प्राप्त किया।

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