मेरा भाई सेना का बहुत सम्मान करता है', राहुल के बयान पर SC की टिप्पणी के बाद प्रियंका गांधी ने दिया जवाब

नई दिल्ली |कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पुराने बयान पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बीच कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने भाई के बचाव में मोर्चा संभाला है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता का काम सरकार से सवाल पूछना होता है और राहुल गांधी सेना का हमेशा सम्मान करते हैं। प्रियंका ने कोर्ट में हुई टिप्पणी को 'गलतफहमी' बताया है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने 9 दिसंबर, 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प पर उनकी टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा विपक्ष के नेता राहुल गांधी की खिंचाई पर कहा कि, 'वे यह तय नहीं कर सकते कि एक सच्चा भारतीय कौन है। विपक्ष के नेता का काम है सरकार से सवाल पूछना, यही उसकी जिम्मेदारी है। मेरा भाई कभी भी सेना के खिलाफ कुछ नहीं कह सकता। वह सेना का सबसे ज्यादा सम्मान करता है। इसलिए यह बयान पूरी तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।'
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को 2020 में चीन के साथ गलवान में हुई झड़प के बाद सेना के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि, 'अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ये सब बातें नहीं कहते।' हालांकि, अदालत ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई कथित टिप्पणियों को लेकर गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में कार्यवाही पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी।
हालांकि, अदालत ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई कथित टिप्पणियों को लेकर गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में कार्यवाही पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी।
राहुल गांधी पर सेना को बदनाम करने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट, राहुल गांधी की उस अपील पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें भारतीय सेना पर उनकी कथित टिप्पणियों को लेकर लखनऊ की एक लोअर कोर्ट में उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। शिकायतकर्ता, सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव के अनुसार, 16 दिसंबर, 2022 को गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की गई टिप्पणियों ने सेना को बदनाम किया।
आपको कैसे पता भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया'?
दो जस्टिस की बेंच की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कांग्रेस नेता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ए.एम. सिंघवी से कहा कि, 'हमने टिप्पणियां पढ़ी हैं। हमें बताएं, आपको कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? बिना किसी के आप ये बयान क्यों दे रहे हैं?'
सच्चे भारतीय होते, तो ये सब बातें नहीं कहते- कोर्ट
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि, 'अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप ये सब बातें नहीं कहते।' सिंघवी ने कहा कि टिप्पणियां 'जनहित' में थीं, और उन्होंने आगे कहा, 'यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि देखो, हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार डाला गया। यह भी चिंता का विषय है।'
न्यायमूर्ति दत्ता ने फिर पूछा कि, 'जब सीमा पार संघर्ष होता है, तो क्या दोनों तरफ हताहत होना असामान्य है?' सिंघवी ने जवाब दिया: 'बिल्कुल नहीं। मैं खुलासा कर रहा हूं।' न्यायमूर्ति दत्ता ने पूछा, 'अगर आप खुलासे की बात कर रहे हैं, तो संसद में विपक्ष के नेता होने के नाते। आप संसद में यह सवाल क्यों नहीं पूछते'। फिर उन्होंने पूछा: 'आपको मीडिया या सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना पड़ रहा है?'
न्यायाधीश ने कहा, 'आप जो चाहें कहते रहें। अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अधिकार मौजूद हैं। इसका मतलब यह नहीं कि एक जिम्मेदार विपक्ष के नेता होने के नाते आप ऐसा करते हैं।'
सिंघवी ने कहा कि वह अदालत की इस बात से सहमत हैं कि चिंताओं को अलग तरीके से रखा जा सकता था। 'माननीयों को लग सकता है कि यह बात कहने का सही तरीका नहीं है। मैं सहमत हूं लेकिन मानहानि का मुकदमा दायर करके किसी व्यक्ति को परेशान करने का यह तरीका नहीं है।'
