नौसेना को मिला नया युद्धपोत ‘हिमगिरी’, ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों से लैस

नौसेना को मिला नया युद्धपोत ‘हिमगिरी’, ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों से लैस
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नई दिल्ली: भारत की समुद्री ताकत को एक नई मजबूती मिली है. भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक तकनीक और शक्तिशाली हथियारों से लैस नया मेड-इन-इंडिया फ्रिगेट युद्धपोत हिमगिरी सौंपा गया. इस जहाज का निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड ने किया है. यह ‘प्रोजेक्ट 17ए’ के तहत बनाए जा रहे तीन गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स में से पहला युद्धपोत है.

‘हिमगिरी’ सिर्फ एक युद्धपोत नहीं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की सफलता की मिसाल है. इस जहाज में अधिकतर उपकरण और तकनीक भारत में ही विकसित किए गए हैं

GRSE ने निर्माण में देश के MSMEs, स्टार्टअप्स और स्थानीय तकनीशियनों को शामिल किया, जिससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़े, बल्कि देश की रक्षा निर्माण क्षमता भी सुदृढ़ हुई.

हिमगिरी की खासियत:

लंबाई: 149 मीटर

वजन: 6,670 टन

हथियार: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और बराक-8 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम

रडार प्रणाली: AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे)

क्रू कैपेसिटी: 225 नौसैनिक

हेलिकॉप्टर डेक: आधुनिक सुविधा से लैस

यह जहाज समुद्र की सतह, हवा और पानी के नीचे के खतरों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है. इसमें आधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली, शक्तिशाली सेंसर और मल्टी-रोल ऑपरेशंस के लिए हेलिकॉप्टर संचालन की पूरी क्षमता है.

‘हिमगिरी’ का निर्माण और सफर

‘हिमगिरी’ का जलावतरण 14 दिसंबर 2020 को हुआ था. यह GRSE द्वारा बनाए गए 801वें पोत और 112वें युद्धपोत के रूप में दर्ज हुआ है. यह कंपनी के 65 वर्षों के इतिहास में बना सबसे बड़ा और उन्नत युद्धपोत है. सोमवार को GRSE ने इसे आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना को सौंपा. नौसेना के ईस्टर्न नेवल कमांड के चीफ स्टाफ ऑफिसर (टेक्निकल) रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने इसकी पुष्टि की है.

GRSE की भविष्य की योजनाएं

GRSE वर्तमान में चार श्रेणियों में 15 युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है. इनमें से दो ‘अंध्रोथ’ (एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्राफ्ट) और ‘इक्षाक’ (सर्वे वेसल लार्ज) — समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर चुके हैं. इसके साथ ही, GRSE को भारतीय नौसेना के अगली पीढ़ी के कोरवेट कार्यक्रम के लिए सबसे कम बोली लगाने वाला ठेकेदार घोषित किया गया है। जल्द ही पांच और जहाजों का निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है.

क्या है रणनीतिक महत्व?

‘हिमगिरी’ की डिलीवरी से भारतीय नौसेना की मारक क्षमता और ऑपरेशनल तैयारियों में बड़ा इजाफा होगा. यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा. साथ ही, स्वदेशी निर्माण से भारत की विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम होगी और वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भरता का संदेश जाएगा.

‘हिमगिरी’ सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत के उभरते रक्षा क्षेत्र, तकनीकी आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संकल्प का प्रतीक यह भारतीय नौसेना को नई ताकत देगा और देश को समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में और सक्षम बनाएगा.

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