संचार साथी ऐप का नया दौर: न फोन चोरी होने का डर न फ्रॉड की चिंता .सरकार का बड़ा कदम और बढ़ती बहस

न फोन चोरी होने का डर न फ्रॉड की चिंता .सरकार का बड़ा कदम और बढ़ती बहस
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टेलीकॉम विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए देश में बिकने वाले हर नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को पहले से शामिल करने का निर्देश दिया है। मोबाइल कंपनियों को इसे लागू करने के लिए नब्बे दिनों की समय सीमा दी गई है। सरकार का दावा है कि यह कदम साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने और नागरिकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए जरूरी है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि यह व्यवस्था लोगों के फोन पर नजर रखने का एक नया तरीका हो सकती है।

फिलहाल यह ऐप पूरी तरह विकल्प के रूप में उपलब्ध है और इसे प्ले स्टोर तथा एपल स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। सरकार चाहती है कि आने वाले समय में यह सभी फोनों में अनिवार्य रूप से मौजूद रहे। इसके फायदे बताए जाते हैं कि यह ऐप फोन चोरी हो जाने और साइबर फ्रॉड जैसे जोखिमों को काफी हद तक कम कर देता है।

संचार साथी ऐप की खासियतें

दस बिंदुओं में समझिए इसे क्यों कहा जा रहा है गेम चेंजर

संचार साथी की शुरुआत वर्ष दो हजार तेईस में एक वेब पोर्टल के रूप में हुई थी। जनता की अच्छी प्रतिक्रिया के बाद सत्रह जनवरी दो हजार पच्चीस को इसका मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया और कुछ ही समय में इसके पांच करोड़ से अधिक डाउनलोड दर्ज किए गए।

ऐप खोलते ही उपयोगकर्ता को अपने मोबाइल नंबर और ओटीपी के माध्यम से लॉगिन करना होता है। इसके बाद ऐप फोन के आईएमईआई नंबर को दूरसंचार विभाग के सीईआईआर डेटाबेस से मिलान करता है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि फोन चोरी का तो नहीं है।

सीईआईआर एक केन्द्रीय डेटाबेस है जिसमें देश के सभी मोबाइल फोनों के आईएमईआई नंबर दर्ज रहते हैं। संचार साथी इसी डेटाबेस से जुड़ा है और इसी कारण फोन से संबंधित किसी भी गड़बड़ी का पता तुरंत लग जाता है।

यदि फोन चोरी हो जाए तो यह ऐप उसे तत्काल निष्क्रिय करने का अनुरोध दर्ज कर देता है जिससे डेटा सुरक्षित रहता है और आर्थिक नुकसान से भी बचाव होता है।

कई बार धोखेबाज अलग अलग नंबरों से कॉल कर बैंक अधिकारी या कूरियर एजेंट बनकर लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं। इन संदिग्ध नंबरों की शिकायत सीधे संचार साथी पर की जा सकती है।

जो लोग सेकेंड हैंड फोन खरीदते हैं उनके लिए भी यह ऐप बेहद उपयोगी है। किसी भी फोन का आईएमईआई डालते ही ऐप बता देता है कि फोन वैध है या चोरी का या पहले से ब्लैकलिस्टेड है।

अक्सर देखा गया है कि किसी की पहचान पर नकली सिम निकलवा ली जाती है। इस समस्या पर संचार साथी ऐप ने अब तक तीन करोड़ से अधिक फर्जी सिम कनेक्शन बंद करवाए हैं।

इसी ऐप की मदद से सात लाख से ज्यादा चोरी या खोए हुए मोबाइल फोन वापस मिल चुके हैं और लगभग सैंतीस लाख फोन ब्लॉक किए जा चुके हैं।

सरकार का नया निर्देश यह है कि देश में बेचे जाने वाले हर मोबाइल में संचार साथी पहले से मौजूद रहे और उपयोगकर्ता इसे हटाने या डिसेबल करने में सक्षम न हों।

पुराने फोनों में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये इस ऐप को शामिल करने की तैयारी है ताकि सभी उपयोगकर्ताओं को इसका लाभ मिल सके।

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