डेंगू की रोकथाम और जागरूकता के लिए 24 घंटे संचालित होने वाली हेल्पलाइन शुरू की जाए: नड्डा

डेंगू की रोकथाम और जागरूकता के लिए 24 घंटे संचालित होने वाली हेल्पलाइन शुरू की जाए: नड्डा
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स्वास्थ्य मंत्री ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों को खास डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश दिया। यह पूरी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों, दवाओं और इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं से लैस होने चाहिए। उन्हें अपनी सुविधाओं का उपयोग करने के लिए एक ‘रेफरल’ प्रणाली बनाने का भी निर्देश दिया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मानसून की शुरुआत और डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर बुधवार को अहम बैठक की। इस दौरान डेंगू की स्थिति और उसकी रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी की स्थिति की समीक्षा भी की गई। उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए नड्डा ने अधिकारियों को डेंगू रोकथाम और जागरूकता के लिए 24 घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों और क्षेत्रों में इस मच्छर जनित रोग के मामले बार-बार सामने आते हैं, वहां अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

स्वास्थ्य मंत्री ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों को खास डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश दिया। यह पूरी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों, दवाओं और इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं से लैस होने चाहिए। उन्हें अपनी सुविधाओं का उपयोग करने के लिए एक ‘रेफरल’ प्रणाली बनाने का भी निर्देश दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक, नड्डा को देश भर में डेंगू की स्थिति और मंत्रालय की तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें यह बताया गया कि केंद्रित, समयबद्ध और सहयोगात्मक गतिविधियों के परिणामस्वरूप डेंगू से होने वाली मृत्यु दर 3.3 प्रतिशत (1996) से घटकर 2024 में 0.1 प्रतिशत हो गई है। कहा गया कि मानसून की शुरुआत से उत्पन्न चुनौती और बरसात के मौसम के दौरान डेंगू के मामलों की बढ़ती संख्या के खतरे को रेखांकित करते हुए नड्डा ने डेंगू के खिलाफ तैयार रहने के महत्व पर बल दिया।

नड्डा ने कहा कि ‘एडीस’ मच्छर, जो आमतौर पर दिन में काटता है, के बारे में स्कूल जाने वाले बच्चों और अन्य लोगों के बीच ऐसे कपड़े पहनने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए, जो शरीर को पूरी तरह से ढककर रखें। इसके तहत पानी के बर्तनों को ठहरे हुए पानी से मुक्त रखने का काम बड़े पैमाने पर किया जाएगा। देशभर में टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया आदि मंचों के माध्यम से जागरूकता के लिए एक राष्ट्रव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान भी चलाया जाएगा।

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