वायरस से घबराने की जरूरत नहीं, रखें स्वच्छता का ध्यान, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को दिए निर्देश

वायरस से घबराने की जरूरत नहीं, रखें स्वच्छता का ध्यान, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को दिए निर्देश
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केंद्र सरकार ने लोगों से एचएमपी वायरस को लेकर बिल्कुल भी नहीं घबराने की अपील की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से सर्दी-खांसी होने पर स्वच्छता का खास ध्यान रखने को कहा है। जिस तरह कोरोना महामारी के दौरान चेहरे पर मास्क लगाने और बार-बार हाथ धोने थे, ठीक उसी तरह सर्दी या खांसी होने पर लोगों को इसका ध्यान रखना है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने मंगलवार को एचएमपी वायरस के प्रसार को लेकर राज्यों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में कहीं भी सांस की बीमारी में उछाल आने के सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इन्हें लेकर किसी भी तरह की कोताही बरती जाए। अस्पतालों में प्रत्येक इन्फ्लूएंजा और गंभीर श्वास संबंधी परेशानियों से ग्रस्त मरीजों का विश्लेषण आवश्यक है। इन सभी मामलों का समय रहते पंजीयन के साथ-साथ उन्हें उपचार दिया जाए। उन्होंने बैठक में राज्यों से साफ तौर पर कहा है कि आईएलआई यानी इन्फ्लूएंजा और एसएआरआई यानी गंभीर श्वास रोगियों की निगरानी के जरिये सभी तरह के संक्रमण के प्रसार पर निगरानी रखी जा सकती है।

2001 से वायरस है मौजूद

स्वास्थ्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि एचएमपीवी से जनता के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है। यह 2001 से विश्व स्तर पर मौजूद है। उन्होंने दोहराया कि सर्दियों के महीनों के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि आम तौर पर देखी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि के लिए अच्छी तरह से तैयार है।

12 राज्यों में सक्रिय आईडीएसपी नेटवर्क

वर्चुअल बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने राज्यों को बताया कि देश के 12 राज्यों में आईडीएसपी का नेटवर्क है, जिसके जरिये हर साल इन्फ्लूएंजा और अन्य तरह के संक्रमण के बारे में जानकारी मिलती है। अभी तक किसी असामान्य वृद्धि का संकेत नहीं मिला है। आईसीएमआर की ओर से भी संक्रमण के प्रसार पर निगरानी रखी जा रही है।

निगरानी बढ़ाएं

स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से कहा है कि निगरानी के साथ लोगों में जागरूकता पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि फिजूल में पैनिक स्थिति पैदा न हो सके। अगर किसी को सर्दी या खांसी है तो उन्हें स्वच्छता के बारे में बताया जाए। साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने जैसे सरल उपायों के बारे में बताया जाए, ताकि वायरस का असर परिवार के बाकी सदस्यों तक न पहुंचे। इनके अलावा गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूने से बचने के लिए भी बताया जाए। उन लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें, जिनमें बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकना बहुत जरूरी है।

अभी तक कोई मौत नहीं, सामान्य वायरस : सौम्या स्वामीनाथन

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक और आईसीएमआर की पूर्व महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि यह एक ज्ञात वायरस है जो ज्यादातर हल्के श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। रोगजनक का पता लगाने में जल्दबाजी करने के बजाय हमें सर्दी होने पर सामान्य सावधानी बरतनी चाहिए। भारत में अब तक इससे किसी की मौत की सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में कई तरह के वायरस प्रसारित हैं। इनमें से कई वातावरण में मौजूद भी हैं, लेकिन इन श्वसन रोगजनकों में से लगभग तीन फीसदी आईएलआई यानी इन्फ्लूएंजा और एसएआरआई यानी गंभीर श्वसन से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि हमें आवश्यक समय पर सचेत रहना है। अगर किसी को लक्षण हैं तो वह अपने डॉक्टर से सलाह ले सकता है। कुछ ही दिन में रिकवरी हो सकती है। देरी से पता चलने पर जरूर थोड़ा नुकसान हो सकता है या फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है। इसलिए समय पर सचेत और उपचार दोनों जरूरी हैं।

2024 में इन्फ्लूएंजा से 324 लोगों की मौत

बैठक के दौरान नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने जानकारी दी कि एचएमपी वायरस को लेकर जितनी चर्चा हो रही है उससे कहीं अधिक ग्राउंड जीरो पर इन्फ्लूएंजा ए यानी एच1एन1 जैसे वायरस का प्रसार दिखाई दे रहा है। एक जनवरी से 30 नवंबर 2024 के बीच भारत में इस संक्रमण से 324 लोगों की मौत हुई है, जबकि 19,872 लोग संक्रमित पाए गए। यह आंकड़ा साल 2019 के बाद सबसे अधिक है। कोरोना से पहले 2019 में 28,798 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आए, जिनमें से 1,218 मरीजों ने दम तोड़ दिया।

हालिया आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर 2024 से पांच जनवरी 2025 के बीच देश में सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़े 20 फीसदी से ज्यादा रोगियों के नमूनों में एच1एन1 जैसा संक्रमण पाया गया है जो एचएमपी की तुलना में करीब चार गुना अधिक है, क्योंकि साल 2001 से 2024 के बीच भारत में सालाना अधिकतम पांच फीसदी नमूने एचएमपी संक्रमित मिले हैं।

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