NOTA को अधिक वोट मिल जाता है तो क्या होगा?

NOTA को अधिक वोट मिल जाता है तो क्या होगा?
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तो भी सांसद बन सकते हैं नेताजी

क्या चुनाव NOTA हारने के बाद भी कोई उम्मीदवार सांसद या विधायक बन सकता है? अगर, मैदान में एक ही उम्मीदवार खड़ा हो तो क्या उसे चुनाव से पहले निर्विरोध विजयी घोषित किया जा सकता है? ये तमाम सवाल बीते 15 दिन से खूब चर्चा में हैं. मतदाता न तो मतदान के लिए घर से निकले, न ही चुनाव प्रचार हुआ और न ही युवा लोकतंत्र के इस त्योहार में अपनी पहली हिस्सेदारी की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाल पाए. कारण, कांग्रेस के प्राइमेरी और स्टैन्डबाय उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो गया और अन्य प्रतियोगियों ने भी नामांकन वापस ले लिया. यह पूरा वाकया है गुजरात के सूरत लोकसभा सीट का, जहां बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया. फिर एक सवाल उठा, कोई भी उम्मीदवार निर्विरोध कैसे जीत सकता है, जब इस चुनावी प्रक्रिया में NOTA भी है. क्या होगा अगर उम्मीदवार के मुकाबले NOTA को अधिक वोट मिल जाए, दोबारा चुनाव या कुछ और? आइए इन तमाम सवालों पर चर्चा करते है और खोजते है इनके जवाब…

ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी प्रत्याशी को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया हो और भारत के चुनावी इतिहास में यह कोई अनोखी बात भी नहीं है. अबतक, कुल 35 उम्मीदवार ऐसे रहे है जिन्हें बिना किसी वोटिंग प्रक्रिया के विजयी घोषित कर दिया गया है. ताजा मामला है उत्तर प्रदेश के कन्नौज लोकसभा सीट का, जहां समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव ने निर्विरोध जीत हासिल की थी. यह मामला साल 2012 का है. अब दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त देश में नोटा का कान्सेप्ट नहीं आया था. सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान NOTA (None Of The Above) को शामिल करने के पक्ष में फैसला सुनाया था. जानकार कहते हैं कि इसे लागू करने के पीछे का कारण यह था कि अगर कोई मतदाता किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान न करना चाहे तो वह नोटा को वोट करे लेकिन, मतदान की प्रक्रिया में शामिल हो और अपनी राय रखे.

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