अब देश के हर कंप्यूटर में होगा 'माया', इसलिए चर्चा में आ गया यह देसी ऑपरेटिंग सिस्टम

अब देश के हर कंप्यूटर में होगा माया, इसलिए चर्चा में आ गया यह देसी ऑपरेटिंग सिस्टम
X

दो दिन पहले माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड आउटेज की वजह से पूरी दुनिया की तकरीबन 70 फीसदी इंटरनेट आधारित व्यवस्थाएं पूरी तरह ठप हो गई थीं। ऐसा माइक्रोसॉफ्ट की एक सॉफ्टवेयर अपडेट की वजह से हुआ था। लेकिन इस क्राउडस्ट्राइक की वजह से समुचित दुनिया में सैकड़ों अरबों डॉलर का न सिर्फ नुकसान हुआ, बल्कि पूरी दुनिया के एक बड़े हिस्से में सब कुछ रुक गया था। आईटी और साइबर एक्सपर्ट्स की मानें, तो समुचित दुनिया में अभी भी 70 फ़ीसदी ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट के ही हैं। ऐसे में अब चर्चा यह शुरू हुई है कि क्या दुनिया के अलग-अलग मुल्क अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को लॉन्च करेंगे। भारत में पहले से ही स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम माया को लॉन्च किया जा चुका है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से लोगों में चर्चित नहीं हो पाया है और ना ही यह उतना फंक्शनल है। विशेषज्ञों की मानें तो यही सही वक्त है अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को लॉन्च करने का।

देश के साइबर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जिस तरीके से क्राउडस्ट्राइक ने समूची दुनिया में हाहाकार मचाया। उससे अब उन देशों के सामने अपने स्व निर्मित ऑपरेटिंग सिस्टम पर समूची इंडस्ट्री को लाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अमेरिका के न्यूयॉर्क में काम कर रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु शर्मा कहते हैं कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा निर्भरता अभी भी माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम पर ही है। दुनिया के तकरीबन 70 फीसदी कंप्यूटर में अभी भी माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम है। जबकि तकरीबन 20 फ़ीसदी में आईओएस या मैक ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल होता है। इसके अलावा तकरीबन सात फ़ीसदी के करीब दुनिया भर के कंप्यूटर में लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है। जबकि चीन और रूस जैसे देश अपने स्वनिर्मित ऑपरेटिंग सिस्टम का अधिकांशत इस्तेमाल करते हैं। हिमांशु कहते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देश अभी भी अमेरिकन ऑपरेटिंग सिस्टम पर पूरी तरह से निर्भर हैं। अगर यह निर्भरता स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम पर स्विच कर जाती है, तो 19 जुलाई को हुई क्राउडस्ट्राइक जैसी बड़ी "डिजिटल सुनामी" से बचा जा सकता है

Next Story