तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक संसद से पास, सरकार बोली- अब राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं होगा

संसद ने पेट्रो क्षेत्र में अहम सुधारों को लागू करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने संबंधी तेल क्षेत्र (विनियमन तथा विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी। इसका मकसद खनिज तेल उत्खनन के लिए सिंगल परमिट प्रणाली लाने और समग्र ऊर्जा परियोजनाओं का विकास करना है। राज्यसभा बिल को पहले ही मंजूरी दे चुका है। बिल के कानूनी जामा पहनने के बाद तेल व गैस की खोज व उत्पादन के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। निजी और विदेशी निवेश बढ़ेगा। खनन के दैरान पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
पारित बिल तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधन के लिए लाया गया। इसमें निकासी पट्टा देने, पट्टे पर खनिज तेलों की खोज, उत्पादन करने और इसे व्यापार योग्य बनाने के लिए अहम प्रावधान किए गए हैं। इमें खनन को पेट्रोलियम पट्टे में बदलने का भी प्रावधान है। विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद भी मौजूदा खनन पट्टे वैध बने रहेंगे।
बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा उपलब्धता, किफायती और टिकाऊपन पर आधारित है। हम ऊर्जा की आपूर्ति के स्रोत को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं। वैश्विक बाजार में बहुत अधिक तेल की आपूर्ति हो रही है। ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम और कनाडा से आपूर्ति हो रही है। पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम किया है, पर कांग्रेस शासित राज्यों में वैट की बढ़ोतरी हो रही है। पड़ोस में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें भारत के मुकाबले 15 से 20% अधिक हैं। सिर्फ भारत में कमी आई है।
अंडमान सागर में बड़ी सफलता की उम्मीद : पुरी
बिल पेश करते हुए पुरी ने कहा कि भारत में प्रचुर हाइड्रोकार्बन संसाधन हैं और इस बिल के पारित होने के साथ जो इकोसिस्टम बनने वाला है, उसमें भविष्य में अंडमान सागर में खनिज उत्खनन में बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद है।
पुरी ने कहा, एक समय भारत छोड़ने वाली कंपनियां अब तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निवेश के लिए भारत लौटने और सरकार से साझेदारी की इच्छुक हैं। इस क्षेत्र में उचित दोहन और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को कई मामलों में नियम बनाने का अधिकार देता है।
चहेते कारोबारियों की हिफाजत कर रही सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस सांसद गोवाल पडवी ने कहा कि बिल में सजा के प्रावधान को जुर्माने में तब्दील कर सरकार निजी कंपनियों को संरक्षण दे रही है। चहेते कारोबारियों की हिफाजत करने की कोशिश कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में असहजता की स्थिति पैदा होगी।
यह बिल राज्य के अधिकार को कमजोर करेगा। अभी राज्यों को खनन गतिविधियों पर कर लगाने का अधिकार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के नौ न्यायाधीशों की पीठ के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को खनन गतिवधियों पर कर लगाने और रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है।
निजी कंपनियों का होगा वर्चस्व : तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस सांसद प्रतिमा मंडल ने कहा कि सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि इस िबल ने तेल क्षेत्र पर वर्चस्व बनाने के लिए निजी कंपनियों के लिए द्वार खोल दिए हैं। बड़ी निजी कंपनियां कम सरकारी हस्तक्षेप के बीच उत्खनन करेंगी। बिल में प्रावधान है कि कोई भी बिना वैध पट्टे के खनन कार्य नहीं कर सकेगा, लेकिन बिल राज्य सरकार को उत्खनन की निगरानी या नियंत्रण की पर्याप्त शक्ति नहीं देता। यानी प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण सरकार के हाथों से निजी कंपनियों के पास चला जाएगा।