PM मोदी की हाई-लेवल सुरक्षा बैठक, भारत ने पश्चिम एशिया संकट पर जताई चिंता

PM मोदी की हाई-लेवल सुरक्षा बैठक, भारत ने पश्चिम एशिया संकट पर जताई चिंता
X

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम एशिया में हो रही ताजा हिंसा को लेकर उच्च स्तरीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने हिस्सा लिया। बैठक में ईरान द्वारा इज़राइल पर किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बाद हालात का विश्लेषण किया गया। इस हिंसा के बढ़ते दायरे पर चिंता जताई गई, और भारत ने इस संघर्ष को कूटनीति और बातचीत के जरिये हल करने का आग्रह किया है।

तेल आपूर्ति पर असर की चर्चा की

इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें व्यापार, समुद्री नेविगेशन और सप्लाई चेन पर पड़ने वाले प्रभावों का जिक्र हुआ। खासकर, तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर संकट का असर गहराता नजर आ रहा है। मध्य-पूर्वी देशों से भारत का बड़ा व्यापार जुड़ा हुआ है, और इस संकट से व्यापारिक मार्गों पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। भारत ने सभी पक्षों से इस संघर्ष को और अधिक व्यापक होने से रोकने की अपील की है।

समुद्री रूटों पर संकट का गहरा असर

ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष से लाल सागर और अदन की खाड़ी के प्रमुख समुद्री रूटों पर संकट गहरा सकता है। इससे भारत के लिए समुद्री व्यापारिक मार्गों पर रुकावटें पैदा हो सकती हैं। विशेष रूप से, भारत के पेट्रोलियम निर्यात में इस साल 37.56% की गिरावट आई है। 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के कुल व्यापार का 50% इन रूटों से ही होता है, जो भारत के लिए एक बेहद चिंता का विषय है।

भारत के समुद्री व्यापार पर पैदा हो सकता है संकट

भारत का समुद्री व्यापार 2023 में कुल व्यापार का 68% (मूल्य के हिसाब से) और 95% (मात्रा के हिसाब से) था। लाल सागर और अदन की खाड़ी के रास्ते भारत के कुल आयात और निर्यात का बड़ा हिस्सा आता है। यदि संघर्ष और बढ़ता है, तो इससे न केवल भारत, बल्कि वैश्विक व्यापारिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, व्यापारिक दरें और मालभाड़ा भी बढ़ने की संभावना है।

भारत और खाड़ी देशों के बीच मजबूत संबंध

भारत और खाड़ी सहयोग परिषद देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। 2022 में भारत और जीसीसी देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $162 बिलियन तक पहुंच गया। ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। भारत के कुल व्यापार का 15% हिस्सा इन देशों से आता है, जो इस संकट में और ज्यादा प्रभावित हो सकता है।

Next Story