पीएम मोदी का संदेश: भारतीय उत्पादों को विश्व में पहचान, स्वदेशी बनेगी आत्मनिर्भरता की कुंजी

नई दिल्ली आर्थिक तौर पर दुनिया की महाशक्ति बनने के रास्ते में भारत के सामने दो सबसे बड़ी चुनौती हैं। पहला, उसके उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता के मामले में किसी दूसरे देश के उत्पाद से कमतर न हों। दूसरा, भारतीय उत्पाद चीन सहित किसी भी देश के उत्पाद के सामने महंगे न हों। केवल इन्हीं दो कसौटियों पर खरा उतरने के बाद भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार की आर्थिक महाशक्ति बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इन दो सबसे बड़े सवालों का जवाब दे दिया है। यदि यह 'मोदी मंत्र' भारतीय उत्पादक अपना पाए अमेरिकन टैरिफ सहित कोई भी अड़चन भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा नहीं बन सकती।
चीन का सस्ता सामान भारतीय उत्पादकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरे थे। इसका सबसे बड़ा कारण था कि चीन अपने उत्पादकों को सस्ता कर्ज, सस्ता श्रम, भारी मात्रा में उत्पादन के लिए सस्ती दरों पर महंगी मशीनें और सबसे बेहतर तकनीक उपलब्ध कराता है। इससे चीनी उत्पाद दुनिया के बाजारों में सस्ते हो जाते हैं। वहीं, भारतीय उत्पादकों को कच्चा माल भी महंगी दरों पर मिलता है, हमारे यहां मानव श्रम भी महंगा है। केंद्र और विभिन्न राज्यों के कर इसे और महंगा कर देते थे। इसका परिणाम यह होता था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचने पर चीनी सस्ते सामानों के सामने भारतीय उत्पाद टिक नहीं पाते थे।
पिछले कुछ समय में पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान के उत्पाद भी भारत की चिंता का कारण बने थे। इन देशों में मानव श्रम लागत कम होने से उनके उत्पाद सस्ते होने लगे थे। इससे भारत को टेक्सटाइल सेक्टर में इन देशों से कड़ी चुनौती मिलने लगी थी।
केंद्र के उपाय ने दिए समाधान
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में इन समस्याओं को सुलझाने का रास्ता खोजा गया है। केंद्र सरकार ने जीएसटी की दो दरों में ही सबसे ज्यादा उपभोग की वस्तुओं को समेटकर वस्तुओं की लागत कम करने की कोशिश की है। माल ढुलाई लागत कम कर वस्तुओं को सस्ता बनाया गया है। टैक्स दरों के जरिए निम्न और मध्यम वर्ग को आर्थिक ताकत दी है। एमएसएमई को ज्यादा छूट और सस्ता कर्ज देकर उनके उत्पादन के लिए बेहतर माहौल बनाया है। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों के बाद भारतीय उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय बाजारों में टिकने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
'गुणवत्ता और तकनीकी का जवाब खोजना होगा'
आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि अब तक चीन सस्ते उत्पादों के जरिए भारतीय उत्पादों को टक्कर दे रहा था। लेकिन उसके उत्पादों की घटिया क्वालिटी के कारण हमारे लिए कोई बड़ी परेशानी नहीं थी। हम गुणवत्ता की वस्तुएं खरीदने वाले ग्राहकों के जरिए अपने माल की खपत कर रहे थे। लेकिन हाल के दिनों में चीन तकनीक और रिसर्च के क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश कर रहा है। इससे उसके उत्पाद अब गुणवत्ता के मामले में भी दुनिया को टक्कर दे रहे हैं। यदि भारत को चीन की भविष्य की आक्रामक बाजार रणनीति से निपटना है तो उसे रिसर्च और मशीनीकरण में भारी निवेश करना होगा।
रिसर्च निवेश बढ़ाकर ही हो सकेगा चीन से मुकाबला
चीन की आक्रामक रणनीति का बड़ा असर खिलौनों, एआई आधारित कारों, मोबाइल, सोलर पॉवर के उत्पादों और ई वाहनों के क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। चीन अमेरिका और यूरोप की गुणवत्ता की वस्तुएं ज्यादा सस्ती कीमतों पर उपलब्ध करा रहा है। अभी हम उसे इन क्षेत्रों में टक्कर नहीं दे रहे हैं, लेकिन भारत केवल प्राथमिक क्षेत्रों के बाजारों पर निर्भर नहीं रह सकता। यदि उसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनना है तो उसे अंतरिक्ष, कार-वायुयान उत्पादन, हथियार बाजार की बड़ी ताकत बनना होगा। यह काम केवल बेहतर तकनीकी के आधार पर ही किया जा सकता है, लेकिन वैश्विक रिसर्च डाटा यही बताता है कि भारत अभी भी रिसर्च के मामले में बहुत पीछे है।
स्वदेशी ही बनेगा भारत की ताकत
भारत की कुल अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा उसके आंतरिक बाजार का है। देश की 140 करोड़ से अधिक लोगों की आबादी यहां के उत्पादकों के लिए कई देशों के बराबर का बाजार उपलब्ध कराते हैं। इससे वैश्विक स्थितियां प्रतिकूल होने के बाद भी यदि भारतीय उत्पादक केवल घरेलू आवश्यकताओं को भी पूरा करने का व्यापार करते हैं तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। यही कारण है कि स्वदेशी अपनाओ भारत में केवल राष्ट्रवाद का एक नारा भर नहीं है। यह देश की आर्थिक तरक्की का एक बड़ा आधार भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह स्वदेशी को गर्व से अपनाने की अपील की है, इससे बाजारों में भारतीय उत्पादक वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है। अमेरिका ने जिस तरह टैरिफ लगाया है, उससे भारतीय उत्पादकों के सामने कुछ परेशानी आने वाली थी। लेकिन यदि भारतीय उपभोक्ता स्वदेशी वस्तुओं को आक्रामकता के साथ अपना लेते हैं तो इससे यह समस्या बहुत हद तक दूर हो सकती है।
व्यापार जगत को सकारात्मक संदेश
व्यापारियों की संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) नेता और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि जीएसटी मात्र कर सुधार नहीं है, बल्कि यह एक पारदर्शी, सरल और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था बनाने का सशक्त साधन है। उन्होंने कहा कि इससे कर अनुपालन में आसानी, कर बोझ कम करने, पारदर्शिता बढ़ाने और उपभोग को प्रोत्साहित करने का स्पष्ट संदेश व्यापार जगत के लिए नई ऊर्जा लेकर आया है।
