ऑपरेशन सिंदूर’ पर सियासी जंग शुरू, कांग्रेस ने केंद्र पर लगाया सस्ती राजनीति का आरोप

पाकिस्तान को बेनकाब करने विदेश जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसदों को शामिल न करने पर विपक्षी दल ने केंद्र पर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर सस्ती राजनीति करने और राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार के अनुरोध पर औपचारिक रूप से चार नाम प्रस्तुत करने के बावजूद अधिकांश सांसदों को केंद्र ने नजरअंदाज कर दिया। इससे संसदीय परंपराएं कमजोर हुईं। साथ ही विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच विश्वास कमजोर हुआ।
जयराम रमेश ने कहा कि 16 मई को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संपर्क किया था। उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए पार्टी से चार सांसदों के नाम मांगे थे। राहुल गांधी ने उसी दिन दोपहर से पहले वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, नासिर हुसैन और राजा बरार के नाम केंद्र सरकार को सौंप दिए थे।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सरकार ने सूची में से केवल एक नाम आनंद शर्मा का चुना और अन्य नामों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि हमने नाम दे दिए, फिर भी केवल एक को ही शामिल किया गया। इससे पता चलता है कि सरकार की मंशा पहले से ही शरारती थी और यह खेल इसलिए खेला जा रहा है ताकि हमसे पूछने की औपचारिकता समाप्त हो जाए।
जयराम रमेश ने दावा किया कि पूरी कवायद बातचीत होने का दावा करने की औपचारिकता मात्र प्रतीत होती है, लेकिन वास्तव में यह महज डैमेज कंट्रोल था। मेरा मानना है कि यह राजनीतिकरण था, जो नहीं किया जाना चाहिए था। विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच विश्वास होना चाहिए। संसदीय प्रणाली और परंपरा है कि जब आप किसी पार्टी के सांसदों को चुनना चाहते हैं, तो आपको पार्टी के संबंधित नेताओं से बात करनी होती है।
उन्होंने कहा कि किरन रिजिजू क्यों आए और राहुल गांधी और खरगे जी से नाम मांगे। यह कहानी खो गई है। जिस तरह से केंद्र कांग्रेस के साथ व्यवहार किया है, वह सस्ती राजनीति और शरारत है। जब आपने हमसे नाम मांगे थे, तो आपने उन्हें शामिल क्यों नहीं किया? हमने बैठकर दो घंटे तक विचार-विमर्श किया, फिर नाम दिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा सुझाए गए नाम अच्छे सांसद और प्रभावशाली थे। वे न केवल अनुभवी सांसद हैं, बल्कि संसद में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रभावशाली लोग भी हैं। जब आप विपक्ष से नाम मांगते हैं, तो उसका सम्मान करना संसदीय परंपरा है। ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण किया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि अमेरिकी मध्यस्थता के कारण संघर्ष कम हुआ। फिर भी पीएम मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया है। विदेश मंत्री चुप हैं।
जयराम रमेश ने मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों द्वारा हाल में दिए गए बयानों की भी निंदा की। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा राजनीति से ऊपर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी है और सरकार से भी ऐसा ही करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि असली मुद्दा आतंकवाद है। आतंकवाद का मास्टरमाइंड पाकिस्तान है। आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान का गहरा हाथ है, यही मुद्दा है। कश्मीर मुद्दा नहीं है, इस पर केवल संसद में चर्चा होगी।