डिजिटल डेटा पर होगा जनता का अधिकार, फर्जी कॉल और डेटा चोरी पर सख्ती, 18 महीनों में लागू होंगे नये नियम

डिजिटल डेटा पर होगा जनता का अधिकार, फर्जी कॉल और डेटा चोरी पर सख्ती, 18 महीनों में लागू होंगे नये नियम
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नई दिल्ली. देश में डिजिटल गोपनीयता को मजबूत बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम 2025 अधिसूचित कर दिये हैं. इन नियमों का उद्देश्य नागरिकों को उनके डिजिटल डेटा पर सीधा नियंत्रण देना और अनधिकृत पहुंच, फर्जी कॉल, अनचाहे संदेश तथा डेटा लीक की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाना है. सरकार ने साफ किया है कि नये प्रावधान चरणबद्ध तरीके से अगले बारह से अठारह महीनों में लागू किए जाएंगे, ताकि कंपनियों और संस्थानों को नई व्यवस्था अपनाने का समय मिल सके.

नागरिकों को डेटा पर नियंत्रण का अधिकार

नये नियमों के अनुसार लोग अब अपने निजी डेटा की निगरानी कर सकेंगे और किसी भी गलत उपयोग की शिकायत दर्ज करा सकेंगे. इसका सीधा असर उन मामलों पर पड़ेगा जहां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या टेलीमार्केटिंग कंपनियां अनचाहे संदेश भेजती हैं या बिना अनुमति के लोगों का डेटा उपयोग करती हैं. सरकार का कहना है कि यह ढांचा डिजिटल स्पेस में लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा.

कौन-से प्रावधान कब लागू होंगे

सरकार ने इन नियमों को दो चरणों में लागू करने का फैसला लिया है. कुछ प्रावधान तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएंगे. वहीं सहमति प्रबंधक पंजीकरण, डेटा फिड्यूशियरी नोटिस व्यवस्था और डेटा प्रोसेसिंग से जुड़े अहम नियमों को लागू करने के लिए बारह से अठारह महीनों का समय निर्धारित किया गया है. यह मॉडल कंपनियों को अपने सिस्टम को अपडेट करने और नई तकनीकी व्यवस्था विकसित करने के लिए पर्याप्त समय देगा.

डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन

नियमों में एक विशेष डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाने की व्यवस्था भी शामिल है. यह बोर्ड डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम 2023 के तहत डेटा उल्लंघन की गंभीरता के अनुसार जुर्माना तय करेगा. बोर्ड को हर उल्लंघन पर अधिकतम दो सौ पचास करोड़ रुपये तक का दंड लगाने का अधिकार होगा. छोटे उद्यमों को राहत देते हुए उनके लिए अलग ग्रेडेड पेनाल्टी सिस्टम रखा गया है, ताकि वे बिना अतिरिक्त वित्तीय भार के नयी व्यवस्था को अपना सकें.

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