तीन अफसरों के नाम लेकर राहुल गांधी का सवाल, क्या वोट चोरी का मुद्दा फिर होगा सियासी केंद्र में

तीन अफसरों के नाम लेकर राहुल गांधी का सवाल, क्या वोट चोरी का मुद्दा फिर होगा सियासी केंद्र में
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नई दिल्ली |कांग्रेस ने 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कथित 'वोट चोरी' के विरोध में जनसभा की। इस जनसभा में कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कहा कि वे चुनाव आयोग के तीन अधिकारियों ज्ञानेश कुमार, डॉ. विवेक जोशी और सुखवीर सिंह संधू को कभी नहीं भूलेंगे। वे पहले भी अपनी सत्ता आने पर इन अधिकारियों को खोज निकालने और उन्हें सबक सिखाने की बात कही थी। बड़ा प्रश्न यही है कि क्या वोट चोरी अब भी जनता के बीच कोई चुनावी मुद्दा है? क्या इसके सहारे कांग्रेस को अब भी सफलता मिलने की कोई उम्मीद है?

पूरे देश से जुटे कांग्रेस कार्यकर्ता

रामलीला मैदान में पूरे देश से कार्यकर्ता जुटे थे। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना सहित सभी राज्यों के कार्यकर्ता इस रैली में पहुंचे थे। दिल्ली के कार्यकर्ता सबसे अधिक उत्साह के साथ रैली को सफल बनाने की कोशिश करते हुए दिखाई पड़े। कार्यकर्ताओं में बड़ी संख्या मुसलमानों और दलितों की दिखाई पड़ी। रामलीला मैदान पहुंचने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं की संख्या अनुमानतः 20-25 हजार के बीच थी। सड़कों पर भी बड़ी संख्या में कांग्रेस के समर्थक तिरंगे झंडे लहराते हुए देखे जा रहे थे। विभिन्न राज्यों से आई हुई बसों ने रामलीला मैदान के आसपास की सड़कों को पूरी तरह से जाम कर दिया था।

दलितों का रुझान कांग्रेस की ओर वापस आएगा?

कांग्रेस की इस रैली में दलित समर्थकों का बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति, फोटो, स्टिकर लगाकर नारेबाजी करना कांग्रेस को इस बात के लिए आश्वस्त कर सकता है कि यदि वह सफल तरीके से दलितों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करे तो उसका यह परंपरागत मतदाता उसके खेमे में लौट सकता है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित बड़े नेताओं ने संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर लहराते हुए फोटो खिंचाकर इसी वर्ग को आश्वस्त करने की कोशिश की कि वह उनके आदर्शों के साथ खड़ी है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने संविधान को बदलने का मुद्दा उठाकर ही कुछ सफलता हासिल की थी। हालांकि, वोट चोरी का मुद्दा उन्हें बहुत आंदोलित कर पा रहा है, ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

कार्यकर्ता आश्वस्त, लेकिन बड़े नेता नहीं

कांग्रेस के निचले स्तर के कार्यकर्ता इस बात पर आश्वस्त दिखे कि भाजपा वोटों में हेराफेरी के जरिए ही सत्ता तक पहुंच पा रही है। मध्य प्रदेश की ज्योति ने कहा कि यदि बैलेट पेपर से चुनाव हो जाए तो अभी सत्ता बदल सकती है। दिल्ली युवा कांग्रेस के नेता लक्ष्य ने कहा कि वोट चोरी के कारण जनता के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। यह वोट चोरी रुकनी चाहिए।

'असली मुद्दे नहीं उठा रही कांग्रेस'

लेकिन पार्टी के ही बड़े स्तर के कई नेता इस मुद्दे से बहुत सहमत नहीं दिखे। एक बड़े नेता ने कहा कि बिहार चुनाव ने यह साबित कर दिया है कि एसआईआर और वोट चोरी कोई मुद्दा नहीं है। प्रियंका गांधी ने रामलीला मैदान के मंच से कहा कि वे इधर-उधर के मुद्दे उठाते हैं जिससे जनता के असली मुद्दों पर संसद में बहस न हो सके।

नेता ने कहा कि यदि आप (कांग्रेस के शीर्ष नेता) यह समझते हैं कि जो असली मुद्दे हैें, उन पर बहस नहीं हो रही है तो आपको इन्हीं मुद्दों पर सड़क पर उतरना चाहिए। उन्होंने कहा कि वोट चोरी के मुद्दे से कांग्रेस के कार्यकर्ता पार्टी प्रतिबद्धता के कारण सहमत होते दिख रहे हैं, लेकिन आम जनता इस मुद्दे से कतई आश्वस्त नहीं है। बिहार चुनाव इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। उन्होंने कहा कि पार्टी को असली मुद्दे लेकर जनता के बीच सड़कों पर जाना चाहिए।

'कांग्रेस के लिए यह भाषा ठीक नहीं'

पहले प्रियंका गांधी और फिर राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चुनाव आयोग के तीन अधिकारियों के नाम याद कराए। उन्होंने कहा कि इन नामों को भूलना नहीं है। पहले भी कांग्रेस नेता इन अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाकर अपनी सत्ता आने के बाद इनको सबक सिखाने की बात कहते हुए देखे-सुने गए थे। आज रामलीला मैदान में गांधी परिवार के नेता एक बार फिर उसी लय में दिखाई दिए।

लेकिन कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव ने भी इसी तरह की भाषा का उपयोग किया था। इसका परिणाम अच्छा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के नेता को इस तरह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए। इससे कांग्रेस का एक खास समर्थक वर्ग तो खुश हो सकता है, लेकिन देश का आम आदमी इस तरह की भाषा बोलने वालों को सही दृष्टि से नहीं देखता। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के प्रति आदर सूचक शब्दों का उपयोग न करने को भी अनुचित करार दिया। उनका मानना है कि इससे जनता के बीच 'अच्छा संदेश' नहीं जाता है और पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ता है।

'जहां भाजपा मजबूत, वहां हो रही चोरी'

लेकिन कांग्रेस का निचले स्तर का कार्यकर्ता वोट चोरी के आरोपों से सहमत है। उसका मानना है कि वोट चोरी के जरिए ही भाजपा सत्ता के शीर्ष पर टिकी हई है। क्या तेलंगाना में भी वोट चोरी हुई थी जहां कांग्रेस ने जीत हासिल की? अमर उजाला के इस प्रश्न पर तेलंगाना आदिवासी कांग्रेस के पदाधिकारी डॉ. बीएन तेजवथ ने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा मजबूत नहीं है, वहां उसकी योजना काम नहीं कर पाती। लेकिन जहां उसकी जड़ें कमजोर हैं, वहां वह अपनी योजना को कारगर बनाने में सफल हो जाती है।

'मुसलमानों के वोट काटे जा रहे'

तेलंगाना माइनॉरिटी फाइनेंस कारपोरेशन के चेयरमैन मोहम्मद अब्दुल्ला कोठवाल ने अमर उजाला से कहा कि विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए मुसलमानों का वोट काटा जा रहा है। पहले यही काम बिहार में किया गया था, अब पश्चिम बंगाल में हो रहा है। आने वाले समय में यही कोशिश यूपी-उत्तराखंड और अन्य राज्यों में होगी। यह देश के अल्पसंख्यकों में सरकार, प्रशासन के प्रति विश्वास कमजोर करता है।

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