"भूल जाओ और माफ कर दो के सिद्धांत पर कायम है आरएसएस"आंबेकर बोले – सत्ता नहीं, राष्ट्रहित सर्वोपरि

भूल जाओ और माफ कर दो के सिद्धांत पर कायम है आरएसएसआंबेकर बोले – सत्ता नहीं, राष्ट्रहित सर्वोपरि
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मुंबई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी सौ साल की यात्रा में समावेश और क्षमा के दर्शन को हमेशा प्राथमिकता दी है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बुधवार को कहा कि संघ का ध्यान सत्ता प्राप्त करने पर नहीं, बल्कि राष्ट्र के उत्थान पर है। उन्होंने जोर दिया कि संगठन ने कभी किसी इनाम या पुरस्कार की चाह में काम नहीं किया।

आंबेकर ने कहा कि आरएसएस का इतिहास लोक समर्थन पर आधारित रहा है। आपातकाल के बाद संघ के तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने स्वयंसेवकों को “भूल जाओ और माफ कर दो” का संदेश दिया था। इसी मार्गदर्शक सिद्धांत ने संघ को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि संघ की नींव भौतिकवादी सोच पर नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने की ताकत पर है।

सत्ता से ऊपर राष्ट्र

यह पूछे जाने पर कि जब अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे आरएसएस पृष्ठभूमि वाले नेता प्रधानमंत्री बने तो संघ की क्या भावना रही, आंबेकर ने कहा कि यह गर्व का क्षण जरूर था, लेकिन संगठन का लक्ष्य कभी सत्ता नहीं रहा। उनका कहना था कि सरकार की अपनी जिम्मेदारियां और सीमाएं होती हैं, जबकि समाज को मजबूत बनाना दीर्घकालिक कार्य है, जिसे संघ आगे बढ़ाता रहेगा।

ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र

आंबेकर ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद लगे प्रतिबंध के दौरान भी संघ ने नफरत की राह नहीं चुनी। जब कुछ महीने बाद प्रतिबंध हटा, तब संघ प्रमुख एम.एस. गोलवलकर ने कहा था कि संघ को नफरत से दूर रहकर आगे बढ़ना है। आपातकाल के बाद भी यही संदेश दिया गया कि देश और समाज हमारा अपना है, इसलिए किसी से वैरभाव नहीं रखना है।

आंबेकर ने कहा कि आज आरएसएस को जनता से लगातार बढ़ता समर्थन मिल रहा है। लोग संघ के साथ सीधे जुड़कर राष्ट्र सेवा में भागीदारी करना चाहते हैं। इस समर्थन को एक अवसर मानते हुए उन्होंने कहा कि अब चुनौती यह है कि इतने बड़े पैमाने पर आए लोगों को कैसे जोड़ा और संगठित किया जाए।

भविष्य की दिशा

संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के लिए “पंच परिवर्तन” का लक्ष्य तय किया है। इसमें सामाजिक समरसता, पर्यावरण के अनुरूप जीवनशैली, परिवार जागरूकता, आत्मनिर्भरता और नागरिक कर्तव्यबोध शामिल हैं। आंबेकर ने कहा कि यही भारत को आगे बढ़ाने की बुनियाद बनेगा। आज संघ के 32 बड़े संगठन और कई छोटे संगठन सक्रिय हैं और आने वाले समय में नए विषयों पर भी काम करेंगे।

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