ठंड बढ़ते ही गायब हो जाते हैं सांप, जानिए कहां और क्यों जाते हैं ये खौफनाक जीव

ठंड बढ़ते ही गायब हो जाते हैं सांप, जानिए कहां और क्यों जाते हैं ये खौफनाक जीव
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सर्दियों की दस्तक के साथ ही खेतों, जंगलों और गांवों से सांप जैसे गायब हो जाते हैं। गर्मी और बारिश के मौसम में जिन रास्तों पर इनके रेंगने से लोग सहम जाते थे, वहीं ठंड पड़ते ही ये अचानक नजर नहीं आते। क्या सच में सांप कहीं चले जाते हैं या ठंड के मौसम में कोई रहस्यमयी नींद में सो जाते हैं? वैज्ञानिकों की मानें तो सच इससे भी ज्यादा दिलचस्प है।

दरअसल, सांपों का खून ठंडा होता है। उनका शरीर अपना तापमान खुद नियंत्रित नहीं कर सकता। यही वजह है कि जब ठंड बढ़ती है तो उनका शरीर सुस्त पड़ जाता है और ऊर्जा की खपत घटाने के लिए वे गहरी नींद में चले जाते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा कहा जाता है।

इन दिनों सांप खुद को सुरक्षित रखने के लिए बिलों, पेड़ों की जड़ों या पत्थरों के नीचे छिप जाते हैं। कई बार एक ही जगह पर कई सांप एक साथ सो जाते हैं ताकि शरीर की गर्मी एक-दूसरे को मिल सके। इस दौरान उनका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, दिल की धड़कन भी बहुत कम हो जाती है, और वे हफ्तों या महीनों तक बिना कुछ खाए-पिए जिंदा रहते हैं।

गर्मी या बारिश आते ही तापमान बढ़ता है और सांप फिर सक्रिय हो जाते हैं। आमतौर पर वे दिन में बिलों में रहते हैं और रात में शिकार की तलाश में निकलते हैं, क्योंकि उन्हें ठंडा माहौल पसंद होता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि सांपों की नींद के भी पैटर्न होते हैं। सोते समय वे बिल्कुल स्थिर हो जाते हैं, सांस धीमी पड़ जाती है और किसी भी हलचल पर प्रतिक्रिया नहीं देते। दिलचस्प बात यह है कि सांपों की पलकें नहीं होतीं, इसलिए उनकी आंखें हमेशा खुली रहती हैं। इस वजह से लोग अक्सर सोचते हैं कि सांप सोते नहीं हैं, जबकि हकीकत में वे गहरी नींद में होते हैं।

भारत में करीब 69 प्रजातियों के सांप बेहद जहरीले माने जाते हैं, जिनमें किंग कोबरा, करैत और ब्लैक माम्बा जैसे नाम शामिल हैं। ये जीव गर्मी और बरसात में ज्यादा दिखाई देते हैं, लेकिन ठंड में महीनों तक भूमिगत रहकर ऊर्जा बचाते हैं।

सांपों की नींद औसतन 12 से 16 घंटे की होती है, लेकिन सर्दियों में यह कई गुना बढ़ जाती है। कुछ प्रजातियां रेगिस्तानी इलाकों में गर्मी के मौसम में भी एस्टिवेशन यानी ग्रीष्म निद्रा में चली जाती हैं। नींद के इसी दौर में सांप अपनी खाल भी बदलते हैं और नई ऊर्जा के साथ बाहर निकलते हैं।

यानी जब आप ठंड के दिनों में सोचते हैं कि सांप गायब हो गए हैं, तो असल में वे आपके पैरों के नीचे धरती के किसी कोने में गहरी नींद सो रहे होते हैं — वसंत के इंतजार में।

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