थाईलैंड ने हिंदू मूर्ति तोड़ने पर सफाई दी, बताया स्थल धार्मिक नहीं था

थाईलैंड ने हिंदू मूर्ति तोड़ने पर सफाई दी, बताया स्थल धार्मिक नहीं था
X

बैंकॉक |भारत ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी सैन्य संघर्ष में एक हिंदू देवता की प्रतिमा के तोड़े जाने पर चिंता जताई है। इस पर अब थाईलैंड की ओर से सफाई जारी की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड ने गुरुवार को विष्णु मूर्ति को गिराए जाने का बचाव किया और इसे कंबोडिया के साथ अपनी सीमा पर एक 'सजावटी ढांचा' बताया। थाई अधिकारियों ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि ध्वस्त संरचना एक "पंजीकृत धार्मिक स्थल" नहीं थी।

इससे पहले बुधवार को नई दिल्ली ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि ऐसे अपमानजनक कृत्य दुनिया भर में भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। साथ ही भारत ने थाईलैंड और कंबोडिया दोनों से सीमा विवाद को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करने का आग्रह किया।

घटना के बचाव में उतरे थाई प्रधानमंत्री

थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने भी इस कदम का बचाव किया और गुरुवार को कहा कि एक टूटी हुई मूर्ति की तुलना सैनिकों की जान या अंगों से नहीं की जा सकती। थाई सरकार की ओर से कहा गया है कि यह ढांचा किसी धर्म से जुड़ा नहीं था और यह थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर एक जगह पर सिर्फ एक सजावटी संरचना थी।

थाई सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विवादित सीमा क्षेत्र में नियंत्रण स्थापित करने के लिए उस मूर्ति को हटाया गया था और इस कार्रवाई का उद्देश्य किसी भी धर्म का अपमान करना नहीं था। यह कार्रवाई सुरक्षा संबंधी चिंताओं और क्षेत्र प्रशासन से संबंधित थी। बैंकॉक ने कहा कि प्रतिमा को पंजीकृत या आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित नहीं किया गया था।

भारत ने घटना पर जताई थी चिंता

बुधवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, हमें हाल ही में निर्मित एक हिंदू धार्मिक देवता की प्रतिमा के विध्वंस की खबरें मिली हैं, जो थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद से प्रभावित क्षेत्र में स्थित थी। इस क्षेत्र के लोग हिंदू और बौद्ध देवी-देवताओं का गहन सम्मान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं, क्योंकि यह हमारी साझा सभ्यतागत विरासत का हिस्सा है। उन्होंने कहा, क्षेत्रीय दावों के बावजूद, इस तरह के अपमानजनक कृत्य दुनिया भर के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं और ऐसा नहीं होना चाहिए। हम एक बार फिर दोनों पक्षों से संवाद और कूटनीति की ओर लौटने, शांति बहाल करने और आगे किसी भी प्रकार की जानमाल की हानि और संपत्ति एवं विरासत को होने वाले नुकसान से बचने का आग्रह करते हैं।

Next Story