भारत का ऊर्जा क्षेत्र दुनिया के लिए बनेगा मिसाल: गोयल

नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि पिछले 11 वर्षों में भारत के ऊर्जा क्षेत्र ने अभूतपूर्व परिवर्तन देखा है और यह दुनिया के लिए एक मॉडल बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि स्पष्ट विजन, ईमानदार नीयत और निरंतर प्रयासों का नतीजा है।
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत अब बिजली की कमी वाले देश से बिजली सुरक्षा और स्थिरता की ओर बढ़ चुका है। जैसे जैसे देश विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, ऊर्जा क्षेत्र इसकी मजबूत नींव साबित होगा। उन्होंने कहा कि भारत ने बिजली उत्पादन, ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 1048 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया है, जबकि कोयला आयात में लगभग 8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने पिछले 11 वर्षों में 46 गुना वृद्धि हासिल की है और अब दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। वहीं पवन ऊर्जा क्षमता 2014 में 21 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट हो गई है।
गोयल ने कहा कि भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बन चुका है और रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है। इसके साथ ही देश में 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन स्वीकृत की गई है, जिनमें से 25,923 किलोमीटर पाइपलाइन चालू हो चुकी हैं, जिससे ऊर्जा नेटवर्क और अधिक मजबूत हुआ है।
उन्होंने बताया कि भारत की ऊर्जा सफलता पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ सभी तक बिजली पहुंच है। सौभाग्य योजना के तहत हर घर तक बिजली पहुंचाई गई है और उजाला योजना के अंतर्गत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे बिजली बिल कम हुए और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है।
दूसरा स्तंभ सस्ती बिजली है। सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत किया है और ईथेनॉल मिश्रण का 20 प्रतिशत लक्ष्य तय समय से पहले हासिल किया है।
तीसरा स्तंभ बिजली की उपलब्धता है। वर्ष 2013 में जहां बिजली की कमी 4.2 प्रतिशत थी, वह अब घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है और देश ने 250 गीगावाट की रिकॉर्ड मांग को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
चौथा स्तंभ आर्थिक स्थिरता है। पीएम उदय योजना के माध्यम से डिस्कॉम की देनदारी 1.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर 6,500 करोड़ रुपये रह गई है।
पांचवां स्तंभ सतत विकास और वैश्विक जिम्मेदारी है। भारत ने पेरिस समझौते के लक्ष्य पूरे किए हैं और अब देश की 50 प्रतिशत बिजली क्षमता गैर जीवाश्म ईंधन से प्राप्त हो रही है।
