विनाशकारी भूकंप: एक ही दिन में छह बार कांपी धरती,144 की मौत, 730 से अधिक घायल

म्यांमार और थाईलैंड में आज लगे भूकंप के तेज झटकों के बाद भारी तबाही हुई। इस शक्तिशाली भूकंप में इमारतों, पुल और बांध को नुकसान हुआ है। दो सबसे अधिक प्रभावित शहरों से विचलित करने वाला मंजर सामने आया है। रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास था। जानकारी के मुताबिक, दोपहर करीब 12 बजे लगे झटकों के कुछ ही देर बाद 6.4 तीव्रता का भूकंप भी आया।
रिक्टर स्केल पर 4.4 तीव्रता का एक और भूकंप 10 किमी की उथली गहराई पर आया।
4.9 तीव्रता का एक और भूकंप 30 किमी की गहराई पर आया।
पिछले भूकंपों के आफ्टरशॉक के परिणामस्वरूप क्षेत्र में 5.0 तीव्रता का भूकंप आया।
दोपहर 12 बजे क्षेत्र में 10 किमी की गहराई पर 7.0 तीव्रता का भूकंप आया।
7.2 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप इस क्षेत्र को हिला चुका है।
इस तरह के उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि पृथ्वी की सतह के करीब उनकी अधिक ऊर्जा निकलती है, जिससे जमीन का कंपन होता है और संरचनाओं और हताहतों को अधिक नुकसान होता है, जबकि गहरे भूकंप सतह पर आने पर ऊर्जा खो देते हैंगृहयुद्ध में उलझे देश म्यांमार में एक आधिकारिक बयान के तौर पर म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख ने मरने वाले लोगों की संख्या बताई। टीवी पर प्रसारित भाषण के मुताबिक कम से कम 144 लोग मारे गए और 730 अन्य घायल हुए हैं। वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने कहा, 'मृतकों और घायलों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।'
वहीं राजधानी नेपीडॉ से ली गई तस्वीरों में भूकंप से क्षतिग्रस्त कई इमारतें दिखाई दे रही हैं और बचाव दल पीड़ितों को मलबे से निकाल रहे हैं। मामले में म्यांमार की सरकार ने कहा कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में अस्पतालों के ब्लड बैंक में खून की कमी है, जिसकी मांग बढ़ गई है। वहीं मांडले शहर में टूटी-फूटी सड़कें और क्षतिग्रस्त राजमार्गों के साथ-साथ एक पुल और बांध के ढहने की तस्वीरों ने इस बारे में और चिंताएं पैदा कर दी हैं कि बचाव दल पहले से ही व्यापक मानवीय संकट से जूझ रहे देश के कुछ क्षेत्रों तक कैसे पहुंच पाएंगे।
पड़ोसी देशों में भी महसूस किए गए झटके
म्यांमार में पहला भूकंप सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आया, इसकी तीव्रता 7.2 मापी गई। इसके बाद दूसरा झटका दोपहर 12 बजकर दो मिनट पर आया, इसकी तीव्रता 7 मापी गई। इसके बाद एक-एक घंटे के अंतराल पर दो और भूकंप के झटके महसूस किए गए। बता दें कि, भूकंप के झटके भारत, चीन और बांग्लादेश तक महसूस किए गए।
बता दें कि, यूरेशियन और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों के बीच टकराव के कारण, म्यांमार में भूकंपीय खतरा उच्च स्तर पर है। अंतर्राष्ट्रीय भूकंपीय केंद्र की तरफ से बताए गए भूकंप मापदंडों के अनुसार, 1990 से 2019 तक हर साल म्यांमार और उसके आसपास के इलाकों में 3.0 से अधिक या उसके बराबर परिमाण वाली लगभग 140 घटनाएं हुई हैं। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि म्यांमार मध्यम और बड़ी तीव्रता वाले भूकंपों के खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसमें इसकी लंबी तटरेखा के साथ सुनामी के खतरे भी शामिल हैं। सागाइंग फॉल्ट सागाइंग, मांडले, बागो और यांगून के लिए भूकंपीय खतरे को बढ़ाता है, जो म्यांमार की आबादी का 46 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि यांगून फॉल्ट ट्रेस से अपेक्षाकृत दूर है, फिर भी यह अपनी घनी आबादी के कारण महत्वपूर्ण जोखिम से ग्रस्त है।
भीषण भूकंप के बाद म्यांमार और थाईलैंड में आपातकाल की घोषणा की गई है। बैंकॉक में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.2 और 7.0 रही। पहले दोनों ही भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर गहराई में था, जबकि तीसरा जमीन से 22.5 किलोमीटर गहराई में आया।