संग्रहालय में नेहरू से जुड़े दस्तावेज होने चाहिए, सोनिया गांधी पर सरकार ने साधा निशाना

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने बुधवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की जवाहरलाल नेहरू से जुड़े '51 डिब्बे कागजात' अपने पास रखने के लिए कड़ी आलोचना की। सरकार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) को इन्हें वापस करने की मांग की, जिससे विद्वान और संसद नेहरू काल के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेखों तक पहुंच सके।
सरकार ने जोर देकर कहा कि ये दस्तावेज बंद दरवाजों के पीछे नहीं, सार्वजनिक अभिलेखागार में होने चाहिए। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर एक पोस्ट में 15 दिसंबर को संसद में केंद्र के लिखित जवाब को स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों की जगह पता है, इसलिए वे लापता नहीं हैं।
यह स्पष्टीकरण कांग्रेस की ओर से लोकसभा में पहले प्रधानमंत्री नेहरू से जुड़े दस्तावेजों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधने के एक दिन बाद आया है। शेखावत ने भाजपा सांसद संबित पात्रा के सवाल के लिखित जवाब में कहा, 'पीएमएमएल की ओर से साल 2025 में किए गए वार्षिक निरीक्षण के दौरान संग्रहालय से भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कोई भी दस्तावेज गायब नहीं पाया गया है।'
पूर्व पीएम नेहरू के निधन के बाद मध्य दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) बन गया, जिसमें पुस्तकों और दुर्लभ अभिलेखों का समृद्ध संग्रह है। एनएमएमएल का नाम 2023 में बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय कर दिया गया।
नेहरू से जुड़े दस्तावेजों का मुद्दा सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच काफी विवादास्पद रहा है। पीएमएमएल के भीतर एक वर्ग इन दस्तावेजों को वापस लेने के लिए दबाव बना रहा है, जिन्हें सोनिया गांधी ने कई साल पहले वापस ले लिया था।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'जवाहरलाल नेहरू के कागजात से भरे 51 डिब्बे परिवार की ओर से 2008 में प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (तत्कालीन एनएमएमएल) से औपचारिक रूप से वापस ले लिए गए थे।'
