मौसम का बदलता चक्र: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को किया अलर्ट

स्वास्थ्य के प्रति बढ़ते इस जोखिम को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि देश में मौसम का प्रभाव हर जगह अलग पड़ता दिखाई दे रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय स्तर पर तत्काल तैयारियां शुरू होनी चाहिए। मंत्रालय ने केंद्र सरकार की दो एजेंसियों की रिपोर्ट को साझा करते हुए कहा है कि अगले कुछ दिनों में दिन का तापमान लगातार बढ़ता रहेगा, जिसकी वजह से गर्म लहरों की चपेट में आने से लोगों को काफी नुकसान हो सकता है। प्रभावित जिलों में लोगों को सचेत करने के साथ-साथ अस्पतालों में संसाधनों पर भी ध्यान दिया जाए, ताकि समय रहते पीड़ितों को उपचार मिल सके। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन और मौसम चक्र के बदलाव का असर भारत में एक जैसा नहीं है। केंद्रीय एजेंसियों ने अगले दो सप्ताह की रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें डीआरडीओ ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सात जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी करने के लिए कहा है। उनकी रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश के चंबा, लाहौल स्पीति, कुल्लू और किन्नौर के अलावा उत्तराखंड में चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में हिमस्खलन का जोखिम होने का पूर्वानुमान लगाया है।
यहां ताजा बर्फबारी के चलते अगले सप्ताहभर तक हिमस्खलन का खतरा बढ़ने की आशंका है, जबकि भारत के दूसरी ओर गुजरात, कर्नाटक और पुडुचेरी के माहे और केरल में अलग-अलग स्थानों पर भीषण गर्मी पड़ सकती है। मौसम विभाग ने कोंकण, गोवा, सौराष्ट्र और कच्छ के अलग-अलग स्थानों पर तेज गर्म हवाएं चलने की सूचना दी है। बताया गया कि पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में इन अलग-अलग प्रभावों का उत्तर और मध्य भारत में मिश्रित असर दिखाई देगा। यहां अगले दो सप्ताह बाद भीषण गर्मी पड़ने के संकेत मिले हैं।
बढ़ रहे लू के दिन
नई दिल्ली स्थित जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूर्वी पटेल का कहना है कि गर्मी की लहर की अवधि आम तौर पर पांच से छह दिन होती है, लेकिन कभी-कभी यह 10 दिन या उससे अधिक भी हो सकती है। हालांकि, बिहार के पठार के बाहर भीषण गर्मी की लहर आमतौर पर एक या दो दिन से अधिक नहीं चलती है, जहां यह चार से पांच दिन तक बनी रह सकती है।
पिछले साल 50 डिग्री पहुंचा पारा, इस बार हालात और भी गंभीर
अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है उसके आधार पर मौसम के लिहाज से इस बार और भी गंभीर हालात हो सकते हैं। यह जानकारी देते हुए शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पिछले साल उत्तर-पश्चिम भारत के कई जिलों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। 17 राज्यों में 40 हजार से ज्यादा लोग गर्म हवाओं की चपेट में आने से अस्पताल पहुंचे, जिनमें 140 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जैसे-जैसे अत्यधिक गर्मी की घटनाएं बढ़ती हैं, वैसे-वैसे मजबूत हीट एक्शन प्लान की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक जरूरी हो जाती है। इसलिए राज्यों को अगले कुछ दिन में इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
इन राज्यों में ज्यादा प्रभाव
मंत्रालय के मुताबिक, मौसम बदलाव का सबसे ज्यादा जोखिम कमजोर जनसंख्या समूह यानी बुजुर्ग, पहले से बीमार लोग, दिव्यांग, श्रमिक और औद्योगिक मजदूरों के अलावा गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों पर है। बीते कुछ वर्षों से आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, केरल, गोवा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यही वजह है कि इन राज्यों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है