रेलवे का यह फैसला जेब पर पड़ेगा भारी, इस सेवा के बढ़ाया 12% शुल्क,15 अगस्त से लागू होंगी नई दरें

रेलवे का यह फैसला जेब पर पड़ेगा भारी, इस सेवा के बढ़ाया 12% शुल्क,15 अगस्त से लागू होंगी नई दरें
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नई दिल्ली|भारतीय रेलवे ने साइडिंग और शंटिंग चार्ज में लगभग 11 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी का एलान कर दिया है। रेलवे यह बदलाव करीब 16 साल बाद किया है। इससे पहले इन शुल्कों में संशोधन 2009 में किया गया था।

अगर आप किसी फैक्ट्री, उद्योग या गोदाम से जुड़े है और भारतीय रेलवे की साइडिंग या शंटिग सेवाएं लेते हैं तो यह सुविधा 15 अगस्त से महंगी होने जा रही है। भारतीय रेलवे ने साइडिंग और शंटिंग चार्ज में लगभग 11 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी का एलान कर दिया है। रेलवे यह बदलाव करीब 16 साल बाद किया है। इससे पहले इन शुल्कों में संशोधन 2009 में किया गया था।

रेलवे बोर्ड के निदेशक यातायात वाणिज्य (दर) अमितेश आनंद की ओर से इस संबंध में सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को आदेश जारी किया गया है। इसमें उत्तर मध्य रेलवे के जीएम उपेंद्र चंद्र जोशी को भी यह नई दर सूची भेजी गई है। इसका सीधा असर उन उद्योगों पर पड़ेगा जो अपने प्रोडक्ट या कच्चे माल को रेलवे साइडिंग के जरिए मंगवाते या भेजते हैं।

ब्रॉड गेज डीजल इंजन की शंटिंग: ₹10,620 प्रति घंटा (पहले ₹9,500)

डीजल ट्रेन इंजन: ₹17,560 प्रति घंटा (पहले ₹15,800)

मीटर गेज डीजल ट्रेन इंजन: ₹14,770 प्रति घंटा (पहले ₹13,200)

इलेक्ट्रिक ट्रेन इंजन: ₹15,440 प्रति घंटा (पहले ₹13,900)

दरअसल, रेलवे की मुख्य लाइन से जुड़ी जो निजी या समर्पित रेल लाइन होती है, उसे साइडिंग कहा जाता है। यह लाइन किसी सीमेंट फैक्ट्री, कोयला डिपो, इस्पात उद्योग या किसी अन्य भारी उद्योग तक जाती है, ताकि वहां आसानी से माल लाया या भेजा जा सके। अब जब वैगन साइडिंग में पहुंचते हैं तो उन्हें वहां सही स्थान पर ले जाने, जोड़ने, काटने या व्यवस्थित करने का काम रेलवे के इंजन से होता है, जिसे शंटिंग कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर जब कोई सीमेंट फैक्ट्री कच्चा माल (जैसे कोयला या चूना पत्थर) मंगवाती है या तैयार सीमेंट भेजती है, तो उस माल को लोड-अनलोड करने के लिए शंटिंग इंजन की जरूरत पड़ती है। साइडिंग वाले उद्योग या गोदाम मालिक रेलवे से इंजन की मांग करते हैं ताकि उनके वैगन को साइडिंग में लाया जा सके या मुख्य लाइन से जोड़ा जा सके। इसके बदले रेलवे उन्हें प्रति घंटे के हिसाब से शुल्क लेता है। रेलवे अब यही शुल्क को बढ़ा दिया गया है।

उत्तर मध्य रेलवे का कहना है कि वर्ष 2009 के बाद से इस शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी, ऐसे में अब बदलाव समय की मांग बन गया था। यह नई दरें 15 अगस्त 2025 से लागू हो जाएंगी। रेलवे की मानें तो इंजन की परिचालन लागत में समय के साथ लगातार वृद्धि हुई है – इसमें ईंधन, मेंटेनेंस, स्टाफ, स्पेयर पार्ट्स जैसी लागतें शामिल हैं। लेकिन इतने वर्षों से शुल्क स्थिर थे, जिससे रेलवे पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा था। इसलिए यह बढ़ोतरी न सिर्फ तर्कसंगत है, बल्कि रेलवे की सेवा गुणवत्ता और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाए रखने में भी मदद करेगी।

इस बढ़े हुए शुल्क का सबसे ज्यादा असर उन कंपनियों और उद्योगों पर होगा जो नियमित रूप से रेलवे साइडिंग का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि यह बढ़ोतरी सीधे आम यात्रियों की जेब पर असर नहीं डालेगी, लेकिन लॉजिस्टिक कॉस्ट बढ़ने की वजह से कुछ उत्पादों की कीमतों पर अप्रत्यक्ष असर जरूर पड़ सकता है।

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