दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर विवाद...कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा का पलटवार

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर विवाद...कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा का पलटवार
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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण की योजना पर विवाद हो गया है। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं। उधर, भाजपा ने कांग्रेस के रवैये पर चिंता जाहिर करते हुए उस पर पलटवार किया है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने इसके विरोध में पैठाणी में एक घंटे का मौन व्रत रखा। मंदिर निर्माण पर गरमाई सियासत के बीच श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने सफाई दी कि मंदिर का उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से कोई संबंध नहीं है।

इस बीच पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि दिल्ली मे भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर को लेकर कांग्रेसियों की चिंता राजनीति से प्रेरित है या उन्हें सनातन या पौराणिक समझ कम है। दिल्ली अथवा कहीं भी प्रतीकात्मक मंदिर बनने से किसी भी ज्योतिर्लिंग का महत्व कम नहीं होता। पुराणों मे 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख है और किसी प्रतीकात्मक मंदिर के बनने से कुछ भी बदलाव असंभव है। उन्होंने कहा कि देश मे कई प्रतीकात्मक मंदिर हैं और आस्थावान लोग वहां सदियों से पूजा अर्चना करते आए हैं। इससे सनातन धर्मावलंबी आहत नहीं बल्कि राहत महसूस करेंगे। उन्होंने पलटवार किया कि एक प्रतीकात्मक मंदिर को सेंटर और शाखा कहने वालों को पहले सनातन के बारे में समझना होगा। मंदिर कोई व्यावसायिक संस्थान नहीं जिसे सेंटर या शाखा से संबोधित किया जाए।


उन्होंने कांग्रेस द्वारा सदबुद्धि यज्ञ को आडंबर करार दिया। कहा कि जब कांग्रेस समर्थित वकील कोर्ट में भगवान को काल्पनिक बता रहे थे। तब उन्होंने कोई विरोध प्रदर्शन और न ही किसी तरह से अपने हाईकमान के सामने विरोध जताया। उन्होंने कांग्रेस पर सनातन के विरोध और देवभूमि के अपमान की सुपारी लेने का आरोप लगाय। कहा कि जो लोग हमेशा बाहरी आक्रांताओं के नाम पर बनी बाबरी मस्जिद को बचाने में लगे रहे, उन्हें श्री केदारनाथ के नाम से बनने वाले मंदिर बनने पर आपत्ति है।

ट्रस्ट ने दी सफाई

श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की ओर से जारी एक प्रेस बयान में सूचित किया गया कि ट्रस्ट जिस केदारनाथ मंदिर का निर्माण कर रहा है, उस मंदिर का उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम से कोई संबंध नहीं है। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ट्रस्ट के मुताबिक, दिल्ली में खाटू श्याम, माता वैष्णो देवी और बदरीनाथ जैसे कई मंदिर बनाए गए हैं। उसी तरह ट्रस्ट श्री केदारनाथ मंदिर का निर्माण कर रहा है।

केदारनाथ धाम उत्तराखंड के उच्च हिमालय में स्थित थे। धाम के अंदर में जो मंदिर हैं, वे दूसरे स्थानों पर भी होते हैं। मंसा देवी व चंडीदेवी के मंदिर भी बहुत से राज्यों व स्थानों पर बनाए गए हैं। मंदिर को मंदिर के रूप में देखना चाहिए। धाम का आशीर्वाद धाम के दर्शन से ही मिलता है।

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास सनातन धर्म का अपमान : कांग्रेस

दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का शिलान्यास का कांग्रेस ने विरोध किया। कांग्रेस ने इसे सनातन धर्म का अपमान करार दिया। कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी व प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने कहा कि केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का शिलान्यास करना सनातन और वैदिक परंपरा का अपमान है।

शिव पुराण के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंग में भगवान केदारनाथ का अपना एक स्थान है यदि अब ज्योतिर्लिंग का भी प्रतीक बनाया जाएगा तो यह हिंदू सनातन धर्म के लिए न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि बहुत ही घातक है। आखिर भाजपा सरकारें सनातन की अपनी मनमानी व्याख्या क्यों कर रही हैं।

सदियों से केदारनाथ धाम की अपनी महिमा है और उसका अपना इतिहास है। भाजपा उस इतिहास को अपने हिसाब से लिखना चाहती है। इससे करोड़ों सनातन के अनुयायियों की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने कहा, प्रदेश सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। अन्यथा उत्तराखंड को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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