मां शिप्रा की दुर्दशा: साधु-संत, नाले में उतरकर बोले- यहां कैसे होगा सिंहस्थ
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सिंहस्थ महाकुंभ 2028 की तैयारियों में जुटी राज्य सरकार के लिए चिंता की बात है कि माँ शिप्रा की दुर्दशा पर साधु-संतों ने कड़ा रोष व्यक्त किया है। स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास महाराज और पीर योगी महंत महावीर नाथ के नेतृत्व में साधु-संतों के दल ने रामघाट से लेकर संपूर्ण घाटों का निरीक्षण किया और शिप्रा के काले पानी और दुर्गंध से आक्रोशित हो गए।
निरीक्षण के दौरान ऋणमुक्तेश्वर घाट, कवेलू कारखाना, होटल मित्तल, होटल इंपीरियल, लालपुर, और दुर्गादास की छत्री के पास खुले नाले शिप्रा में मिलते देखे गए, जिससे पानी काला और जहरीला हो गया है। संतों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही गंदे नालों का प्रवाह नहीं रोका गया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास महाराज ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएचई विभाग को यह भी पता नहीं कि नाले शिप्रा में मिल रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की, ताकि शिप्रा को स्वच्छ किया जा सके और आने वाले पर्व स्नान और सिंहस्थ महाकुंभ में श्रद्धालुओं को पवित्र जल मिल सके।ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पीर योगी महंत महावीर नाथ ने मुख्यमंत्री से इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने बताया कि शिप्रा का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि जानवर तक मर रहे हैं। वे स्वयं घाट से कचरा हटवाते हैं, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान प्रशासन की तत्परता से ही संभव है।
संतों की चेतावनी और उम्मीद
साधु-संतों ने स्पष्ट किया कि शिप्रा को स्वच्छ करने में प्रशासन नाकाम रहा तो वे आंदोलन करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार शीघ्र कदम उठाएगी ताकि सिंहस्थ महाकुंभ 2028 में शिप्रा शुद्ध और पवित्र रूप में बहे।