हक की बात वही कर सकते हैं जिनके पास कलेजा होता है
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यदि हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी है, तो हमें मजबूत इरादों वाला बनना होगा. दुनिया उन्हीं की इज्जत करती है, जो अपनी हक की लड़ाई खुद लड़ते हैं. अगर आप भी सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं, तो निडर होकर अपने अधिकारों की रक्षा करें और आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ें.
चाणक्य का यह कथन—
“केवल वे ही अपने हक की बात कर पाते हैं, जिनके पास कलेजा होता है, वरना तलवे चाटने के लिए तो जीभ ही काफी है”—साफ शब्दों में बताता है कि अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है.
हक की बात वही कर सकते हैं जिनके पास कलेजा होता है
अपने हक की लड़ाई आसान नहीं
जीवन में सफलता पाने के लिए केवल ज्ञान और कौशल ही नहीं, बल्कि साहस और आत्मविश्वास की भी जरूरत होती है. जो लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते हैं, उन्हें कई बार समाज और सत्ता के विरोध का सामना करना पड़ता है. लेकिन इतिहास गवाह है कि वही लोग आगे बढ़ते हैं, जो निडर होकर अपने हक के लिए खड़े रहते हैं.
समर्पण बनाम स्वाभिमान
बहुत से लोग परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं और अपने स्वाभिमान से समझौता करने को ही सफलता मान बैठते हैं. लेकिन चाणक्य स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल वे लोग सम्मान और हक की बात कर सकते हैं, जिनमें हिम्मत होती है. जो लोग डर के कारण अन्याय को सहते रहते हैं, वे जीवनभर दूसरों के अधीन ही रहते हैं.
निडरता से मिलेगी सफलता
चाणक्य नीति हमें सिखाती है कि यदि हमें जीवन में ऊंचाई तक पहुंचना है, तो हमें अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए. किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए आत्मविश्वास और धैर्य का होना आवश्यक है.