पढ़े-लिखे घरों में क्यों घट रही हैं अमानवीय घटनाएं – जया किशोरी

पढ़े-लिखे घरों में क्यों घट रही हैं अमानवीय घटनाएं – जया किशोरी
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आज हम कई बार देखते हैं कि पढ़े-लिखे और संपन्न घरों में भी ऐसी घटनाएं होती हैं, जो नैतिक पतन को दर्शाती हैं. चाहे वह बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार हो या घरेलू हिंसा, कई बार ऐसे अमानवीय कृत्य उन्हीं परिवारों में देखने को मिलते हैं जहां शिक्षा का स्तर ऊंचा है.उन्होंने अपने एक विचार में यह स्पष्ट किया है कि इंसान की अच्छाई और उसका चरित्र केवल डिग्रियों से तय नहीं होता, बल्कि वह संस्कारों से बनता है.उनका यह कथन आज के समाज के लिए आईना है, जहां उच्च शिक्षित परिवारों में भी ऐसी घटनाएं घट रही हैं, जो असंस्कारी और अमानवीय व्यवहार को दर्शाती हैं.

इसके उलट कई गरीब या अशिक्षित परिवारों में भी संस्कार और व्यवहारिकता का स्तर बहुत ऊंचा होता है. वहां पर बड़ों का सम्मान, आपसी प्रेम और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अधिक देखने को मिलता है.

संस्कार ही असली शिक्षा है

जया किशोरी के अनुसार, संस्कार और मूल्य ही इंसान को बेहतर बनाते हैं, न कि केवल डिग्रियां और किताबों का ज्ञान. उन्होंने यह भी कहा कि आजकल माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के साथ यह मान लेते हैं कि वही सब कुछ सिखा देगा, जबकि असली शिक्षा तो घर से शुरू होती है.

घर का माहौल, माता-पिता का व्यवहार, और बुजुर्गों का आदर सिखाना ही बच्चों को अच्छे इंसान बनने की दिशा में ले जाता है.

इस विचार से हमें यह समझना होगा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब वह संस्कारों के साथ जुड़ी हो. सिर्फ पढ़-लिख लेने से हम अच्छे इंसान नहीं बनते, हमें अपने व्यवहार, सोच और मूल्यों पर भी ध्यान देना होगा. जया किशोरी का यह विचार हर उस व्यक्ति को एक नई दिशा देता है जो सोचता है कि सिर्फ पढ़ाई ही सब कुछ है

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