अमरनाथ यात्रा,: शाम ढलते ही डमरू और घंटियों से गूंजती है घाटी,लंगरों में लगते हैं हर-हर महादेव के नारे, दिखता हे अलग नजारा..

शाम ढलते ही  डमरू और घंटियों से गूंजती है घाटी,लंगरों में लगते हैं हर-हर महादेव के नारे, दिखता हे अलग नजारा..
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हसीन वादियां और आस्था का सैलाब का अलग ही रूप अमरनाथ यात्रा में देखने को मिल रहा है यहां ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के बीच ठंडी बर्फ में डमरू की आवाज और हर हर महादेव की गूंजे एक अलग ही नजर आप पेश कर रही है ना लोगों में आतंक का डर है और नहीं किसी तरह काम है बस उनके कदम बाबा के दरबार की ओर बढ़ने के लिए आतुर नजर आते हैं और रात को भजन कीर्तन में रमें में दिखते है।




बालटाल के रास्ते अमरनाथ तीर्थ यात्रियों की सेवा के लिए सजे लंगर शाम होते ही भोले की भक्ति में डूब रहे हैं। एक साथ, एक ही समय करीब तीन दर्जन से अधिक लंगरों में शाम के समय आरती शुरू होती है तो पूरी घाटी हर हर महादेव, जय भोले और बाबा बर्फानी के जयकारे से गूंज उठती है। चारों तरफ अगरबत्ती, धूप और हवन की सुगंध फैल रही है। राह चलते श्रद्धालु भी आरती में शामिल हो रहे हैं।



बालटाल के रास्ते बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पवित्र गुफा की ओर जाने वाले मार्ग पर विभिन्न प्रदेशों के 40 से अधिक लंगर लगे हुए हैं। इसमें कोई हरियाणा और पंजाब का है तो कोई दिल्ली और यूपी का दानवीर भोले का भक्त। सभी अलग-अलग प्रदेशों के लेकिन सभी के बीच एक बात समान है कि चौबीस घंटे भोले के भक्तों की सेवा के दौरान शाम सात और साढ़े सात बजे के बीच सभी जगह एक साथ महादेव की आरती शुरू होती है। कुछ लंगरोंं में तो रोजाना हवन भी हो रहा है





श्री शिव शक्ति सेवा मंडल बुढलाडा मानसा पंजाब लंगर के डॉ. प्रेमचंद के मुताबिक बालटाल घाटी में सूर्यास्त शाम करीब साढ़े सात बजे होता है। लिहाजा इसी दौरान महादेव की आरती कर ली जाती है, क्योंकि सूर्यास्त के बाद आरती करना उचित नहीं माना जाता है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के बीसलपुर के रहने वाले राजेश ने शिव शक्ति मानव सेवा समिति नाम से लंगर लगाया है।


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वह कहते हैं कि शाम के समय सभी लंगरों में एक साथ आरती होने से पूरी घाटी में सिर्फ बाबा बर्फानी की ही गूंज सुनाई देती है। डमरू और घंटी की आवाज के बीच भोले की स्तुति करना मन को काफी सुकून पहुंचाता है। शिव गौरी सेवा मंडल चंडीगढ़ के मनप्रीत सिंह कहते हैं कि एक साथ आरती करने का आनंद अत्यंत ही सुखद होता है। ऐसा लगता है कि मानों बाबा बर्फानी सामने विराजमान हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं।




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