सावन पूर्णिमा पर करें ये उपाय,: जीवन में आने वाली मुसीबतों को हमेशा के लिए कहें

सावन पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की अंतिम तिथि होती है, जो अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मानी जाती है। यह तिथि आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक तीनों ही दृष्टिकोण से विशेष है। शास्त्रों में इसका विस्तृत और गूढ़ वर्णन मिलता है, जो आम तौर पर लोक परंपराओं में छिपा रह जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार इसमें कहा गया है कि श्रावण पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और व्रत करने से मनुष्य को सौ यज्ञों का फल प्राप्त होता है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि इस दिन वेदों की पुनर्प्राप्ति हुई थी और देवगुरु बृहस्पति ने अपने शिष्यों को उपनयन संस्कार द्वारा ब्रह्मविद्या में दीक्षित किया था। गृह्यसूत्र और धर्मसूत्र में श्रावणी पूर्णिमा को उपनयन के बाद वेदाध्ययन की पुनः शुरुआत के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है।
सावन पूर्णिमा पर न करें ये काम
असत्य भाषण, कटुता, लोभ, वाणी का अपवित्र प्रयोग, शास्त्रों की अवहेलना (जैसे किताबों को पैरों से छूना)
सावन पूर्णिमा पर करें ये उपाय
सूर्योदय से पहले स्नान करें यदि संभव हो तो नदी में स्नान करें।
कुशा और तिल मिश्रित जल से सप्तर्षियों का तर्पण करें।
पूर्णिमा के दिन सुबह के समय पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत होकर पीपल के वृक्ष पर कुछ मीठा रखें और मीठा जल अर्पित करके धूप जलाकर लक्ष्मी मां की पूजा करें और उन्हें अपने घर पर आने के लिए आंमत्रित करें। इस प्रकार करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
पूर्णिमा को शिवालय में सवा किलो अखंडित चावल लेकर जाएं। वहां जाकर विधिवत भोलेनाथ का पूजन करें और उसके पश्चात अपने दोनों हाथों से चावल उठाएं, जितने चावल दोनों हाथों में आते हैं उतने शिवलिंग पर अर्पण करें बाकि शेष बचे चावलों को दक्षिणा स्वरुप मंदिर के पुजारी या जरुरतमंद को दान कर दें। प्रत्येक पूर्णिमा और सावन के सभी सोमवार को ये उपाय करने से भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है। भोलेनाथ संपूर्ण आर्थिक मुश्किलों को दूर करके कार्य क्षेत्र में सफलता प्रदान करते हैं।
पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र, शमीपत्र और फल अर्पित करने से भोलेनाथ की कृपा सदैव बनी रहती है। घर के कलह और अंशाति को दूर करने के लिए पूर्णिमा के दिन सफेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करें।
पूर्णिमा को सुबह के समय घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से निर्मित तोरण लगाएं, जिससे घर में शुभता का वातावरण बना रहेगा।
सुखी दांपत्य जीवन के लिए पूर्णिमा को काम क्रिड़ा न करें।
पूर्णिमा वाले दिन चंद्रमा के उदय होने के पश्चात साबूदाने की खीर में मिश्री डालकर बनाएं और मां लक्ष्मी को भोग लगाकर प्रसाद स्वरुप सभी में बांट दें। घर में लक्ष्मी का आगमन होगा।
इस दिन तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें। जुआ, शराब, नशा, क्रोध और हिंसा से दूर रहें। बड़े बुजुर्गों का अपमान न करें।
सुबह के समय हल्दी में थोड़ा जल डाल कर घर के मुख्य द्वार पर ऊँ बनाएं।