गणपति स्थापना के लिए इस समय करें पूजन, तो मिलेगी विशेष लाभ

गणपति स्थापना के लिए इस समय करें पूजन, तो मिलेगी विशेष लाभ
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भीलवाड़ा (विजय गढ़वाल )।

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चर्तुथी 27 अगस्त बुधवार को प्रथम पूज्य श्रीगणेशजी दुर्लभ शुभ और शुक्ल योग के साथ कई मंगलवारी योग भी विराजित होंगे। गणपति बप्पा विराजित करने के लिए सुबह 11 बजकर छह मिनट से दो बजकर चालीस मिनट का समय अधिक फलदायी और मंगलकारी है। मंगलकारी श्रीगणेश को शुभ मुर्हूत व पंचांग के अनुसार विराजित करने के लिए दो घंटा 36 मिनट का समय है।स्थापना से पहले इन बातों का रखें ध्यान

श्रीगणेश हर दृष्टि से मंगलकारी हैं, लेकिन विराजित करने के लिए दिशा का विशेष ध्यान रखा जाता है। ताकि प्रथम पूज्य से मनवांछित आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकें। प्रथम पूज्य श्रीगणेश को सही दिशा में विराजित करें उत्तर पूर्व दिशा श्रेष्ठ हैं इससे धन-धान्य में वृद्धि के साथ सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्रीजी को विराजित करने के लिए ऐसी प्रतिमा चुननी चाहिये, जिसमें उनकी सूंड बाई ओर झुकी हो, इस तरह की प्रतिमा अत्यंत शुभ मानी जाती है।

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर एक बजकर 54 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 27 अगस्त को दोपहर तीन बजकर 44 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त को शुरू होगा और इसी दिन गणेश स्थापना की जाएगी। गणेश उत्सव के दिन गणपति की पूजा के लिए सुबह 11 बजकर छह मिनट से दोपहर एक बजकर40 तक का समय सबसे उत्तम है। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 34 मिनट है।

गणेश जी की स्थापना विधि

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें।

स्नान-ध्यान के बाद घर और मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें।

गणेश जी की स्थापित के लिए एक मंडप सजाएं, जिसके लिए फूल, रंगोली और दीपक आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके बाद एक कलश लेकर उसमें गंगाजल, रोली, चावल, सिक्के और आम के पत्ते डालकर इसे मंडप में स्थापित कर दें।

अब एक चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।

तीन बार आचमन करते हुए गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाएं।

इसके बाद मूर्ति के पास दीपक जलाएं और गणेश जी को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, सुपारी व फल-फूल अर्पित करें।

गणेश जी को 21 दूर्वा भी जरूर अर्पित करें, इसके साथ ही उनके प्रिय भोग जैसे मोदक व लड्डू आदि भी चढ़ाएं।

अंत में सभी परिवारजन मिलकर गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।

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