हंसते हुए कर्म तो बांध लेते पर रोते हुए भी चुकाना होता मुश्किल-कुमुदलताजी

हंसते हुए कर्म तो बांध लेते पर रोते हुए भी चुकाना होता मुश्किल-कुमुदलताजी
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भीलवाड़ा। हम हंस हंस कर कर्म बांधते है लेकिन रोते हुए भी उनका भुगतान करना मुश्किल होता है। कर्मो का बोझ बढ़ाने से बचे ओर धर्म की साधना करते हुए कर्मो को हल्का करने का प्रयास करे। कर्म खपाने पर ही भव भ्रमण से मुक्ति मिलेगी। ऐसे पाप कार्य नहीं करे जो कर्मो का बंधन मजबूत करे। भावपूर्वक नवपद की आराधना भी कर्म निर्जरा करती है। ये विचार श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय मालव सिंहनी पूज्या श्री कमलावतीजी म.सा. की सुशिष्या अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. ने आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में मंगलवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने प्रवचन के दौरान शरद पूर्णिमा की आराधना के साथ उपाध्याय प्रवर अमरमुनिजी म.सा. एवं महासाध्वी अरूणप्रभाजी म.सा. की दीक्षा जयंति पर उनके प्रति श्रद्धाभाव के साथ गुणानुवाद करते हुए कहा कि त्यागी तपस्वी संयमी आत्माओं का जीवन हमेशा प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय होता है।

उन्होंने नवपद आयम्बिल ओली की आराधना पूर्ण कर रहे सभी श्रावक श्राविकाओं के प्रति भी हार्दिक मंगलभावनाएं व्यक्त की। वास्तुशिल्पी डॉ. पद्मकीर्तिजी म.सा. ने नवपद आराधना के अंतिम दिन श्रीपाल चरित्र का वाचन पूर्ण करते हुए कहा कि श्रीपाल एवं मैनासुंदरी का चारित्र हमारे जीवन के लिए प्रेरणादायी है ओर नवपद आराधना का महत्व प्रतिपादित करता है। नवपद आराधना से मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है। जीवात्मा के 84 लाख योनियों का भव भ्रमण समाप्त करने का माध्यम भी नवपद की आराधना है। श्रद्धा व भक्ति भाव से नवपद का स्मरण करने से रिद्धि सिद्धि व यश की प्राप्ति के साथ हर कार्य पूर्ण हो जाता ओर सर्व सुख की प्राप्ति होती है। नवपद में आस्था रखने वाले के जीवन से मुश्किलों का अंत होकर खुशियों का आगमन होता है। हर श्रावक-श्राविका को नवपद की आराधना अवश्य करने की भावना रखनी चाहिए। धर्मसभा में स्वर साम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन की प्रस्तुति दी। महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में नवपद आयम्बिल ओली आराधना सम्पन्न हुई। नियमित प्रवचन के बाद वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने आयम्बिल विधि सम्पन्न कराई ओर सभी आराधकों के प्रति हार्दिक मंगल भावना व्यक्त की। आयम्बिल की व्यवस्था चातुर्मास समिति द्वारा की गई थी। नवपद आयम्बिल ओली आराधना करने वाले तपस्वियों के सामूहिक पारणे बुधवार सुबह 7.15 बजे से होंगे।चातुर्मास के तहत बुधवार से नियमित प्रवचन के तहत स्वर साम्राज्ञी डॉ. महाप्रज्ञाजी म.सा. द्वारा 15 दिवसीय महावीर गाथा का वाचन किया जाएगा।

इसी तरह भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र के मूल पाठ का वाचन विद्याभिलाषी राजकीर्तिजी म.सा. द्वारा किया जाएगा। इनके वाचन की अवधि में प्रवचन सुबह 8.30 बजे से प्रारंभ हो जाएंगे। धर्मसभा में घोड़नदी से आए धनजंयकुमार मुथा,पारस मुथा, भारती जैन आदि अतिथियों का स्वागत आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति एवं सुभाषनगर श्रीसंघ द्वारा किया गया। नासिक निवासी रचना चौपड़ा ने गीत के माध्यम से भाव व्यक्त किए। संचालन चातुर्मास समिति के सचिव राजेन्द्र सुराना ने किया।

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