शक्ति की भक्ति में लीन हुआ भीलवाडा का रास उल्लास गरबा महोत्सव
नीले रंग को प्रेम और ओज का प्रतीक माना जाता है। यह आकाश का भी प्रतिनिधित्व करता है। यही नीली आभा रसरंग एवं श्री गुजराती समाज की प्रस्तुति नईदुनिया रास उल्लास गरबा महोत्सव में देखने को मिली।नीले परिधान पहने प्रतिभागी जब गरबा खेलने पंडाल में उतरे तो, ऐसा आभास हुआ मानो आकाश ही धरती पर उतर आया हो और गरबा प्रेमियों के साथ माता की भक्ति कर रहा हो।भीलवाड़ा में प्रतिदिन की तरह गरबा महोत्सव में बच्चों से लेकर उम्रदराज लोगों ने गरबा खेला जा रहा है। परिवार के साथ आए लोगों ने भी ओपन पंडाल में गरबा खेलकर माता की भक्ति की।
इनका कहना है
रास उल्लास गरबा महोत्सव में 10 साल से गरबा खेलने जा रही हूं और देख रही हू बॉलीवुड के बजाए पारंपरिक गीतों पर गरबा होना चाहिए। जो यहां के गरबों को खास बनाता है। अनिता
गुजराती गीत गरबा को बनाते हैं खास
गुजराती गीतों पर होने वाले गरबा इस महोत्सव को खास बनाते हैं। इसलिए मुझे यहां के गरबे अच्छे लगते हैं। कविता
सुरक्षा का खास ध्यान
भीलवाडा में गरबा खेलने वाले आने वालों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। लड़कियों के लिए भी यह जगह बहुत सेफ है।
रेखा